कोयला नहीं मिला तो राजस्थान में होगा ब्लैक आउट, मुख्यमंत्री गहलोत की अपील पर सीएम बघेल बोले- नियम देखेंगे

कोयला नहीं मिला तो राजस्थान में होगा ब्लैक आउट, मुख्यमंत्री गहलोत की अपील पर सीएम बघेल बोले- नियम देखेंगे

प्रेषित समय :11:45:03 AM / Sat, Mar 26th, 2022

रायपुर.राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार को रायपुर पहुंचे. उन्होंने यहां छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उनके निवास में करीब 4 घंटे बैठक की. इस बैठक में सीएम गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से कॉल ब्लॉक पर चर्चा की. हालांकि, बैठक के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार ने सीएम गहलोत की मांग पर कोई स्पष्ट फैसला नहीं दिया.

जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजस्थान के मुख्यमंत्री से कहा कि राजस्थान को भारत सरकार द्वारा आबंटित कोयला खदान के मामले में पर्यावरण के साथ-साथ स्थानीय लोगों का हित ध्यान में रखा जाएगा. उसके मुताबिक ही नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. बता दें, राजस्थान कोयले के लिए छत्तीसगढ़ पर आश्रित है. यहां राजस्थान को कोल ब्लॉक दिया गया है. लेकिन, एक ही पार्टी के होने के बावजूद छत्तीसगढ़ ने इस पर फिलहाल अपनी स्वीकृति नहीं दी है. इसी मामले को लेकर सीएम गहलोत रायपुर आए थे.

गौरतलब है कि बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भूपेश सरकार से कोयला खदानों के संचालन पर बात की और राजस्थान को जल्द कोयले की आपूर्ति करने की अपील की. गहलोत ने कहा कि अपने राज्य की तरफ से उम्मीदें लेकर वे छत्तीसगढ़ आए हैं. राजस्थान संकट में है. राज्य को चिंता है कि आने वाला समय कैसा होगा. अगर छत्तीसगढ़ मदद नहीं करता है तो राजस्थान में ब्लैक आउट हो जाएगा. यही वजह है कि वे खुद रायपुर आए हैं. सीएम गहलोत ने उम्मीद जताई कि छत्तीसगढ़ सरकार इस संबंध में जल्द फैसला लेगी.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपील की कि राजस्थान को आवंटित कोयला खदानों में खनन गतिविधि प्रारंभ करने के लिए लंबित मंजूरी जल्द दें. राजस्थान में कोयले की कमी के कारण ब्लैक आउट की स्थिति बन गई है. अगर छत्तीसगढ़ ने मदद नहीं की तो राजस्थान के 4500 मेगावाट क्षमता के बिजली प्लांट बंद हो जाएंगे. वहां बिजली की सप्लाई पूरी तरह से ठप हो सकती है.

इस मामले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राजस्थान को आवंटित कोल ब्लॉक पर विधिवत काम किया जा रहा है. इस प्रक्रिया में समय लग सकता है. खदान आवंटन के बाद भारत सरकार और राज्य सरकार की गाइड लाइन के साथ-साथ पर्यावरण की स्वीकृति भी चाहिए. इनके अलावा स्थानीय लोगों के हितों का भी ध्यान रखा जाता है. राज्य सरकार ने पर्यावरण और स्थानीय लोगों के हितों से कभी समझौता नहीं किया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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