मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में केंद्रीय नियमों को लागू करने के खिलाफ पेश किया प्रस्ताव

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में केंद्रीय नियमों को लागू करने के खिलाफ पेश किया प्रस्ताव

प्रेषित समय :13:32:51 PM / Fri, Apr 1st, 2022

चंडीगढ़. केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियमों को लागू करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ आज एक दिवसीय पंजाब विधानसभा विशेष सत्र में प्रस्ताव पारित पेश किया गया. मुख्यमंत्री भगवंत मान चंडीगढ़ के मामलों से संबंधित यह प्रस्ताव लाए हैं. जिस पर चर्चा शुरू हो गई है. इससे पूर्व स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने राणा गुरजीत सिंह और उनके बेटे राणा इंद्र प्रताप सिंह को विधायक के तौर पर शपथ दिलाई.

दिन के लिए विधानसभा की कार्य सूची में कहा गया है कि मुख्यमंत्री मान केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से संबंधित मामलों के संबंध में एक प्रस्ताव पेश करेंगे. मान ने बीते सोमवार को कहा था कि यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि पंजाब चंडीगढ़ पर अपने दावे के लिए लड़ेगा. केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियम लागू करने के केंद्र के हालिया फैसले पर पंजाब में आप, कांग्रेस और शिअद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. जिनमें से कई नेताओं ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के नियमों में बदलाव के बाद यह पंजाब के अधिकारों के लिए एक और बड़ा झटका था.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस कदम से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर लाभ होगा क्योंकि उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़कर 60 वर्ष हो जाएगी और महिला कर्मचारियों को वर्तमान एक वर्ष के बजाय दो साल की चाइल्ड केयर लीव मिलेगी. इस बीच भुल्लथ के कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने राज्य के संघीय अधिकारों को हड़पने के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न प्रयासों को विफल करने के लिए भगवंत मान से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.

खैरा ने कहा कि मान को तुरंत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय मांगना चाहिए. उन्होंने कहा कि पंजाब सहित देश के हर राज्य ने अपनी शक्तियां भारत के संविधान से ली हैं. खैरा ने कहा कि हमारे संविधान के निर्माताओं ने केंद्र और राज्य दोनों में निहित शक्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित और निर्धारित किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के सेवा नियमों को लागू करने का एकतरफा फैसला पंजाब के पुनर्गठन अधिनियम 1966 का पूरी तरह से उल्लंघन है. उन्होंने दावा किया कि यह न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि चंडीगढ़ पर पंजाब के वैध अधिकार को भी कमजोर करता है.

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