नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोवैक्सीन की अंतरारष्ट्रीय सप्लाई पर रोक लगा दी है. ये वो वैक्सीन की खेप है जो कोवैक्स सुविधा के जरिए गरीब देशों को दी जाती है. WHO के मुताबिक गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस यानी अच्छी उत्पादन कार्यप्रणाली में कमी के चलते ये फैसला लिया गया है. कोवैक्सीन भारत की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है. बता दें कि इस वैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने एक दिन पहले ही ऐलान किया था कि वो वैक्सीन के प्रोडक्शन को कम करने जा रहे हैं.
डब्ल्यूएचओ ने इस ऐलान को लेकर 2 अप्रैल को एक बयान जारी किया. इसके मुताबिक WHO ने कहा है कि वैक्सीन लेने वाले देश कोवैक्सीन के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सकते हैं. कोवैक्सीन को सस्पेंड करने का ऐलान ईयूएल इंस्पेक्शन के बाद आया है. WHO की टीम ने 14 मार्च से 22 मार्च 2022 तक भारत बायोटेक के प्लांट का निरीक्षण किया था.
पिछले साल 3 नवंबर को WHO ने कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से साफ-साफ नहीं कहा गया है कि वैक्सीन में GMP की क्या कमी है. डब्ल्यूएचओ ने कहा, ‘भारत बायोटेक जीएमपी की कमियों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) और डब्ल्यूएचओ को प्रस्तुत करने के लिए एक सुधारात्मक और निवारक कार्य योजना विकसित कर रहा है. अंतरिम और एहतियाती उपाय के रूप में, भारत ने निर्यात के लिए कोवैक्सिन के अपने उत्पादन को निलंबित करने की अपनी प्रतिबद्धता का संकेत दिया है.’
राहत की बात ये है कि WHO ने वैक्सीन की सुरक्षा और एफीकेसी पर कोई सवाल नहीं उठाए हैं. भारत बायोटेक ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि पिछले एक साल के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने लगातार काम किया. कंपनी के मुताबिक ऐसे में अब अपग्रेड की जरूरत है. कंपनी अब लंबित सुविधा रखरखाव, प्रक्रिया और सुविधा अनुकूलन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-तालिबानी शासन आने के बाद भारत पहली बार अफगानिस्तान को भेजेगा कोवैक्सीन की 10 लाख डोज
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