पाकिस्तान: पीएम इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने भंग की संसद, 90 दिन में होंगे चुनाव

पाकिस्तान: पीएम इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने भंग की संसद, 90 दिन में होंगे चुनाव

प्रेषित समय :15:14:34 PM / Sun, Apr 3rd, 2022

इस्लामाबाद. पाकिस्तान में नाटकीय घटनाक्रम के बाद इमरान खान सरकार बच गई. किसी को अंदाजा नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है. नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया. शायद यही वो सरप्राइज था, जिसका जिक्र इमरान खान बार-बार दे रहे थे. अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद इमरान खान ने राष्ट्र को संबोधित किया और कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से संसद भंग करने का सिफारिश कर दी है. ताजा खबर यह है कि राष्ट्रपति ने इस सिफारिश पर अपनी मुहर लगा दी है. यानी पाकिस्तान में अगले तीन महीनों में चुनाव होंगे. इमरान खान ने अपनी कैबिनेट को भी बर्खास्त कर दिया है. राष्ट्र के नाम संबोधन में इमरान खान ने कहा कि वह देश की जनता तय करे कि कौन सही है और कोई गलत. उन्होंने सांसदों की खरीद-फरोख्त का भी जिक्र किया.

इमरान खान की जिंदगी से जुड़ी ऐसी ही कुछ रोचक बातें

1987 में नवाज शरीफ पंजाब के मुख्यमंत्री थे. तब भारत के खिलाफ सीरीज से पहले पाकिस्तान को वेस्टइंडीज के साथ प्रैक्टिस मैच खेलना था. तब कप्तान थे इमरान खान, लेकिन उस मैच में नवाज शरीफ भी खेलने आ गए. नवाज शरीफ ने खुद को कप्तान नियुक्त कर लिया, विव रिचर्ड्स के साथ टॉस किया, पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और ओपनिंग करने भी चले गए. तब वेस्ट इंडीज की गेंदबाजी का खौफ हुआ करता था. हालांकि उस मैच में नवाज शरीफ कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन इमरान खान को वह मैच आज भी याद आता होगा.

- इमरान खान और बेनजीर भुट्टो एक ही समय में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ते थे. इमरान खान उन 6 पाकिस्तानी राजनेताओं में से एक हैं जो ऑक्सफोर्ड गए हैं. ये हैं बेनजीर भुट्टो, जुल्फिकार अली भुट्टो, लियाकत अली खान, बिलावल भुट्टो जरदारी और वसीम सज्जाद.

- 1971 में इमरान खान वेस्ट-पाकिस्तानी अंडर 19 टीम का हिस्सा थे. वह एक क्रिकेट मैच के लिए बांग्लादेश (उस समय पूर्व-पाकिस्तान) गए थे. जिस दिन 1971 का युद्ध शुरू हुआ, वह पश्चिमी पाकिस्तान वापस आने वाली आखिरी उड़ान में थे.

- 1987 विश्व कप की हार के बाद इमरान खान ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की थी. हालांकि, तब के पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक ने उन्हें टीम का नेतृत्व करने के लिए जारी रखने के लिए कहा. इमरान ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 1992 में पाकिस्तान को विश्व कप दिलाया.

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