बीजिंग. पड़ोसी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा 31 मार्च से शुरू होगी और वोटिंग 3 या 4 अप्रैल को कराई जा सकती है. पिछले कई दिनों से पीएम इमरान की कुर्सी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. कहा जा रहा है कि इमरान खान हटाओ की स्क्रिप्ट चीन में लिखी गई है. माना जा रहा है कि चीन के लिए पीएम इमरान अब सिरदर्द बन चुके हैं, क्योंकि वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ख्वाब चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी CPEC के लिए अड़चन बनते जा रहे हैं.
दरअसल चीन का ड्रीम प्रोजेक्ट CPEC इमरान राज में पटरी से उतर गया है. इमरान के विरोधी खेमे से आ रहे बयान भी इस बात का सबूत हैं कि उन्हे गद्दी से उतारने की स्क्रिप्ट चीन में ही तैयार हुई है. पाकिस्तान में कुर्सी की कुश्ती का असली रिंगमास्टर चीन ही है, क्योंकि इमरान राज में शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट न सिर्फ ठप हो गया है, बल्कि इन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही चीनी कंपनियों के अरबो डॉलर का भुगतान पाकिस्तान सरकार नहीं कर रही है. इस खुलासा इसी महीने चीन की एक कंपनी की लिखी चिट्ठी से होता है, जो इमरान सरकार को भेजी गई थी.
पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्री हम्माद अजहर को लिखी चिट्ठी में चीन ने कहा है, स्टेट ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ चाइना की CET इकाई, जो पाकिस्तान में काम कर रही है, उसे अभी तक सिर्फ 875 करोड़ रुपए का भुगतान मिला है, जिसके बाद पाकिस्तान की NTPC की देनदारी 1235 करोड़ रुपए की बनती है. अगर 24 मार्च तक ये भुगतान नहीं हुआ तो ये समझौते का उल्लंघन माना जाएगा. य़े इमरान सरकार को चीन की एक कंपनी की धमकी है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि चीनी कंपनियों के अरबों रुपए इमरान सरकार में फंसे हुए हैं.
हाल ही में CPEC के जारी आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार पर चीनी कंपनियों के 230 करोड़ डॉलर बकाय़ा है, जिसमें पाकिस्तान ने 140 करोड़ डॉलर के भुगतान का वादा किया, लेकिन जब सरकार का बजट घाटा 3100 करोड़ पहुंच गया हो, तो जाहिर है चीन कंपनियों को पैसे नहीं मिलने वाले और चीन की नाराजगी की ये बड़ी वजह है. कुर्सी के इस खेल में मामला सिर्फ पैसे का ही नहीं है, बल्कि नीयत का भी है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इमरान ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ के जरिए अमेरिका को ये संदेश भेजा था कि अगर पाकिस्तान को अमेरिका CPEC जैसी कोई बड़ी डील दे तो वो चीन के साथ CPEC को खत्म करने को तैयार है, लेकिन अमेरिका ने इस पेशकश को ठुकरा दिया और ये बात चीन तक पहुंच गई और फिर इमरान की उल्टी गिंनती शुरु हो गई.
इमरान ने यहीं गलती नहीं की, बल्कि कुर्सी संभालने के बाद से वो लगातार CPEC की ऐसी शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिनसे चीन का गुस्सा बढ़ाता जा रहा था. दरअसल CPEC में चीन और पाकिस्तान के बीच लेनदेन की शर्तें गुप्त थी, समझौते के मुताबिक पाकिस्तान डील की डिटेल किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से साझा नहीं कर सकता था, लेकिन कर्ज के लिए इमरान ने CPEC की शर्तें IMF से साझा की.
इमरान के कुर्सी पर बैठने के बाद से पाकिस्तान में CPEC विरोधी प्रदर्शन बढ़ गए हैं. खासकर बलूचिस्तान और सिंध में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. इसी विरोध के चलते ग्वादर में CPEC का काम शुरू होते ही रोकना पड़ा, क्योंकि यहां मछुआपों ने प्रोजेक्ट पर हमले शुरु कर दिए थे. इसके साथ ही CPEC विरोधी मोर्चे में सिविल राइट्स कार्यकर्ता और सियासी दल आ गए हैं. पिछले साल से CPEC में काम करे चीनी कर्मचारियों पर हमले शुरु हो चुके हैं. खैबर में 10 चीनी कर्मचारियों का कत्ल किया जा चुका है. इमरान सत्ता में आने से पहले भी कई बार CPEC विरोधी सुर बुलंद कर चुके थे, हांलाकि कुर्सी पर बैठते ही वो CPEC के गुण गाने लगे, लेकिन वो ये भूल गए कि CPEC चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसमें अड़चन की कीमत उन्हें कुर्सी देकर चुकानी पड़ेगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पाकिस्तान में ओआईसी की बैठक में भारत को लेकर दिए बयान झूठ पर हैं आधारित: विदेश मंत्रालय
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