नई दिल्ली. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय चाहे कई बड़े दावे करता हो लेकिन हकीकत कुछ ओर ही सामने आ रही है। जिनेवा स्थित अंतरराष्ट्रीय सड़क महासंघ द्वारा प्रकाशित विश्व सड़क सांख्यिकी (डब्ल्यूआरएस) 2018 के नवीनतम अंक के आधार पर दुर्घटनाओं की संख्या के अनुसार भारत तीसरे स्थान पर है। इतना ही नहीं सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या में भारत पहले नंबर पर है। अगर घायलों की संख्या की बात करें तो इस मामले में भारत तीसरे रैंक पर है। इन आंकड़ों पर खुद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने चिंता जताई है।
राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में गडकरी ने बताया कि 2020 में सड़क हादसे में मरने वालों में 18 से 45 वर्ष के लोगों का प्रतिशत 69.80 प्रतिशत था। ये आंकड़े किसी भी देश में सड़कों के हालात बताने के लिए काफी है।
गडकरी ने कहा कि सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्या में भारत पहले नंबर पर है और घायलों की संख्या के मामले में तीसरे नंबर पर है. संसद को सूचित किया गया कि इसके अलावा, वर्ष 2020 में सड़क हादसे में मरने वालों में 18 से 45 वर्ष के लोगों का प्रतिशत 69.80 प्रतिशत था.
एक अलग प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि कुल 22 नई रातमार्ग परियोजनाओं के विकास की परिकल्पना की गई है. इसमें 1,63,350 करोड़ रुपए की लागत के साथ 2,485 किलोमीटर लंबे पांच एक्सप्रेसवे और 1,92,876 करोड़ रुपए की लागत से 5,816 किलोमीटर लंबे 17 ‘एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे’ शामिल हैं.
मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के तीन खंड यानी दिल्ली-दौसा-लालसोत (जयपुर) (214 किमी), वडोदरा-अंकलेश्वर (100 किमी) और कोटा-रतलाम- झाबुआ (245 किमी) को 23 मार्च तक पूरा करने की योजना है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एक्सीडेंट क्लेम पर सड़क मंत्रालय का नया नियम 1 अप्रैल से होगा लागू
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