भीलवाड़ा. राजस्थान में एक महिला की गुहार हाई कोर्ट ने सुनी और उसके पति को पैरोल दे दी। दरअसल महिला ने दलील दी थी कि वह मां बनना चाहती है और उसका पति जेल में बंद है। ऐसे में उसके मां बनने के अधिकार को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने महिला के पति को परोल दे दी। दरअसल भीलवाड़ा जिले के रबारियों की ढाणी का रहने वाला एक शख्स फरवरी 2019 से अजमेर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। नंदलाल नामक इस शख्स तो जब सजा हुई, उसी के कुछ वक्त पहले उसकी शादी हुई थी। इस बीच पत्नी ने कलेक्टर से नंदलाल को कुछ वक्त के लिए पैरोल देने की गुहार लगाई लेकिन कलेक्टर ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। जिसके बाद महिला ने हाई कोर्ट का रुख किया।
जोधपुर हाईकोर्ट में महिला ने कहा कि उसका पति जेल के सभी नियमों और कानूनों का सख्ती से पालन कर रहा है। वह प्रफेशनल अपराधी भी नहीं हैं, इसलिए उने व्यवहार को देखते हुए और मेरे अधिकार का ध्यान रखते हुए उन्हें 15 दिन की पैरोल दी जाए।
कोर्ट ने इस तर्क के साथ दी पैरोल
जज संदीप मेहता व फरजंद अली की खंडपीठ ने इस मामले पर कहा कि वैसे तो संतान उत्पत्ति के लिए परोल से जुड़ा कोई साफ नियम नहीं है लेकिन वंश के संरक्षण के लिए संतान उत्पत्ति जरूरी है। कोर्ट ने ऋग्वेद और वैदिल काल के उदाहरण के साथ संतान उत्पत्ति को एक मौलिक अधिकार बताते हुए कहा कि 'पत्नी की शादीशुदा जिंदगी से संबंधित यौन और भावनात्मक जरूरतों की रक्षा' के लिए 15 दिन की पैरोल दी जाती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि धार्मिक आधार पर हिंदू संस्कृति में गर्भधान 16 संस्कारों में से एक है, ऐसे में इस आधार पर भी अनुमति दी जा सकती है।
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