आजीवन आर्थिक परेशानी का ज्योतिषीय विश्लेषण

आजीवन आर्थिक परेशानी का ज्योतिषीय विश्लेषण

प्रेषित समय :21:25:39 PM / Thu, Apr 28th, 2022

 जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है आर्थिक तंगी, क़र्ज़ में डूबना, मान-सम्मान ना मिलना, जीवन में खुशियों का न होना, यह सब चंद्रमा के दोष के कारण होता है जिसको ज्योतिष शास्त्र में दरिद्र योग कहा जाता है. ज्योतिष के दो महत्वपूर्ण योग केमुद्र्म योग और शकट योग  जिनका विचार धन की स्थिति का विचार करने हेतु किया जाता है. दोनों योग में चंद्रमा केंद्र है क्यूंकि चन्द्र धन का द्योतक है. जब-जब चन्द्र निर्बल होगा चाहे वह पाप युति से, पाप दृष्टि से, चन्द्र से केंद्र में पापी ग्रहों की स्थिति से, पापी तथा शत्रु नवांश में स्थिति से अथवा सूर्य के सान्निध्य से (अमावस), नीच ग्रह की दृष्टि से शुभ दृष्टि से वर्जित होने के कारण हो तभी धन हानि, दरिद्रता का योग बनेगा. ऐसा ही नियम लग्न (1st house) कुंडली पर भी लागू होगा. जब केंद्र (1-4-7-10) में केवल पापी ग्रह हों तो लग्न निर्बल हो जाता है. लग्न चूँकि धन है उसकी निर्बलता दरिद्र बनाती है. आर्थिक स्थिति का विचार करते समय पत्रिका में इन ग्रह स्थिती का विचार करना श्रेयस्कर है : 

-  1. यदि सूर्य तथा चन्द्र इकट्ठे हों (अमावास का जन्म) 
2. यदि सूर्य तथा चन्द्र इकट्ठे हों और पाप नवांश में स्थित हो.
 3.रात्रि का जन्म हो और क्षीण चंद्रमा अष्टम भाव में स्थित हो .
 4.चन्द्र पर शनि राहु केतु का प्रभाव हो .
 5.लग्न से चारों केन्द्रों में केवल पापी ग्रह हों और कोई शुभ ग्रह न देखता हो. 
6.चन्द्र से चारों केन्द्रों में केवल पापी ग्रह हों. 
7. चन्द्र से छठे, आठवें अथवा द्वादश में गुरु हो. 
8. चंद्रमा के आगे पीछे कोई ग्रह ना हो 
9. धन भाव के स्वामी का नीच वक्री अस्त होना.

ज्योतिष विज्ञान ऐंवम रहस्य

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

कुंडली से जानें संतान कब और कितनी होंगी? साथ ही पुत्र और पुत्री की संख्या

कुंडली से जानें संतान कब और कितनी होंगी? साथ ही पुत्र और पुत्री की संख्या

विदेश यात्रा के लिए किसी भी जन्म कुंडली में बनने वाले मुख्य योग

जन्म कुंडली में प्रथम भाव को लग्न एवं उसके स्वामी को लग्नेश कहते

कुंडली में सूर्य और चंद्रमा कमजोर दिखें तो काम में बाधा आने लगती

Leave a Reply