नई दिल्ली. कच्चे तेल के बाद अब सरकार जल्द ही रूस के साथ सूरजमुखी तेल आयात पर रियायतें हासिल करने के लिए बातचीत शुरू कर सकती है. इसके पीछे की वजह खाद्य तेल की घरेलू खुदरा कीमतों में तेजी है. मनीकंट्रोल में छपी एक खबर के अनुसार, भारत उम्मीद कर रहा है कि उसे रूस से शिपमेंट के लिए विशेष व रियायती दरें मिलेंगी.
बता दें कि रूस ने 31 अगस्त तक सूरजमुखी तेल के निर्यात को सीमित किया हुआ है. रूस ने सूरजमुखी तेल के निर्यात को 31 अगस्त तक 1.5 मिलियन टन तक सीमित कर दिया है जबकि इस अवधि के दौरान सूरजमुखी के बीज के विदेशों में बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. रूस ने सूरजमुखी के भोजन के निर्यात के लिए 700,000 टन का कोटा तय किया है.
एक अधिकारी ने कहा है, “बातचीत शुरू होनी बाकी है और सभी विकल्प खुले हैं. लेकिन सरकार सूरजमुखी के तेल पर एक विशेष व्यवस्था की उम्मीद कर रही है जिसमें भारत को निर्यात के लिए शिपमेंट या कम शुल्क की अनुमति मिलेगी.”अधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार ने पहले भी रूस को सूरजमुखी के तेल की आवश्यकता के बारे में सूचना दी थी. लेकिन यूक्रेन के साथ युद्ध ने मास्को को व्यस्त रखा था और अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय प्रतिबंधों ने आपूर्ति श्रृंखला को रोक दिया था. दरअसल, इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध और मुद्रास्फीति के कारण घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में तेजी ने भारत को रूस की ओर रुख करने पर मजबूर किया है.
निर्यात शुल्क बढ़ा सकता है रूस
आयातकों ने सरकार को बताया है कि रूस का कृषि मंत्रालय 1 जून से सूरजमुखी के तेल पर निर्यात शुल्क में 41 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, शुल्क बढ़कर 525 डॉलर प्रति टन हो सकता है. अधिकारियों ने कहा कि इससे आयात की लागत और बढ़ जाएगी. ईरान, तुर्की, मिस्र और चीन समेत रूस के सूरजमुखी तेल के लंबे समय से खरीदार रहे देश भी सुरक्षित शिपमेंट के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आयातक फिलहाल रूस का सूरजमुखी तेल खरीद रहे हैं लेकिन उच्ची कीमतों और शिपिंग शुल्क में वृद्धि आपूर्ति को अब अस्थिर कर रही है. रॉयटर्स की एक खबर के अनुसार, भारतीय आयातकों ने रिकॉर्ड ऊंची कीमतों पर अप्रैल में 45,000 टन रूसी सूरजमुखी तेल का अनुबंध किया था. वहीं, यूक्रेन से जारी युद्ध के कारण रूस ने सभी बंदरगाहों और हवाई अड्डों को बंद कर दिया है.
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