आगरा. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई के बाद ताज महल के 22 कमरों को खुलवाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ कोर्ट ने कहा, हम यहां इसलिए नहीं बैठे हैं कि किस सब्जेक्ट पर रिसर्च होना चाहिए या नहीं. इसके साथ लखनऊ बेंच ने कहा कि यह मामला कोर्ट के बाहर का है और इसे इतिहासकारों के ऊपर छोड़ देना चाहिए.
इससे पहले लखनऊ बेंच के जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा था कि ताज महल के बारे में रिसर्च करने के बाद ही कोई याचिका दाखिल की जानी चाहिए. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, पीआईएल को मजाक न बनाएं. पहले पढ़ लें, ताज महल कब और किसने बनवाया था. लखनऊ बेंच ने इसके साथ कहा कि कल आप आएंगे और कहेंगे हमें जजों के चेंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि इतिहास आपके हिसाब नहीं पढ़ाया जाएगा.
बीजेपी नेता ने डाली थी याचिका
ताज महल के 22 कमरों में से 20 कमरों को खुलवाने की याचिका भाजपा के अयोध्या मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने 7 मई को कोर्ट दाखिल की थी. इसके साथ भाजपा नेता ने इन कमरों में हिंदू-देवी-देवताओं की मूर्ति होने की आशंका जताते हुए कहा था कि इन बंद कमरों को खोलकर इसका रहस्य दुनिया के सामने लाना चाहिए. वैसे डॉ. रजनीश सिंह ने अपनी याचिका में यह दलील दी है कि उन्होंने आरटीआई दाखिल कर इस बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की कि आखिरकार 22 कमरे बंद क्यों है? वहीं, आरटीआई जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर उन्होंने कोर्ट का रुख किया था. इसके साथ याचिकाकर्ता ने यूपी सरकार से इस मामले में एक समिति गठित करने की मांग की थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, अन्य आरोपियों की जमानत याचिका भी खारिज
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