नई दिल्ली. ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. कोर्ट ने मामले को वाराणसी जिला जज को ट्रांसफर कर दिया है, अब तक सिविल जज सीनियर डिवीजन वाराणसी इसकी सुनवाई कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए यह जिला जज वाराणसी को ट्रांसफर किया गया है. इसके साथ कोर्ट का आदेश है कि उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा के वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी मामले की सुनवाई करेंगे. यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को ऑर्डर 7 रूल 11 मामले की सुनवाई 8 हफ्ते में पूरा करने का आदेश दिया है.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का 17 मई का जो अंतरिम आदेश था, जो एरिया सील किया गया है जहां शिवलिंग पाया गया है वो बरकरार रहेगा. ज्ञानवापी मस्जिद में वजू खाने के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी.
मस्जिद पक्ष के वकील ने दी ये दलील
सुनवाई के दौरान मस्जिद पक्ष के वकील हुजाफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हमारी एसएलपी आयोग की नियुक्ति के खिलाफ है. इस प्रकार की शरारत को रोकने के लिए ही 1991 का अधिनियम बनाया गया था. कहानी बनाने के लिए आयोग की रिपोर्ट को चुनिंदा रूप से लीक किया गया है. इसके साथ कमेटी ने कहा, हमें मौका दिया जाए कि एक नैरेटिव सेट किया जा रहा है. ये मामला इतना आसान नहीं है. मेरी मांग है कि यदि मामला वाराणसी कोर्ट जाता है फिर भी यथास्थिति बनाए रखी जाए. वकील हुजाफा ने कहा है कि वाराणसी कोर्ट ने अभी तक जो भी आदेश दिया है, वह गैरकानूनी है और इसे अवैध घोषित किया जाना चाहिए. यही नहीं, मस्जिद कमेटी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा गया कि लोकल कोर्ट के आदेश का आधार पर पांच और मस्जिदों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर आज इसे अनुमति दी जाती है तो कल कोई इसी तरह से मस्जिद के नीचे मंदिर होने का नैरेटिव सेट किया जायेगा. इससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिया त्यागपत्र, निजी कारणों का दिया हवाला
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