दीप द्विवेदी. पीएम नरेंद्र मोदी गांधी परिवार का विरोध करने के लिए परिवारवाद विरोध का मुखौटा धारण कर लेते हैं, लेकिन अपनों की सच्चाई छिपा जाते हैं?
जयपुर में बीजेपी की राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि परिवारवादी पार्टियां आज भी देश को पीछे ले जाना चाहती हैं, हमें ऐसे लोगों को भाजपा में मौका देना है, उन्हें पार्टी से जोड़ना है, जिनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, हमें याद रखना है कि परिवारवाद की राजनीति से धोखा खाने वाले लोगों का भरोसा भाजपा ही लौटा सकती है, परिवार-वंशवाद की राजनीति ने देश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है, लोकतंत्र बचाने के लिए परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ संघर्ष करना होगा!
बहुत अच्छी बात है, पीएम मोदी इसकी शुरुआत अपनों से ही करें, सबसे पहले तो नीतीश कुमार की तरह मोदी सरनेम हटाइए, इसके बाद देश-दुनिया को बताइए कि उनके सीएम बनने से पहले मोदी परिवार की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक स्थिति कैसी थी और बाद में कैसी हो गई?
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी परिवार की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक स्थिति कैसी थी और अब कैसी हो गई है?
मोदीजी ने कहा कि- हमें ऐसे लोगों को भाजपा में मौका देना है, उन्हें पार्टी से जोड़ना है, जिनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, तो.... इसकी शुरुआत सिंधिया परिवार से करें?
सियासी सयानों का कहना है कि परिवारवाद के सियासी हथियार से केवल गांधी परिवार पर हमला करने के बजाए, इसकी प्रायोगिक शुरुआत बीजेपी से होगी तो, जनता को मोदीजी की बात पर भरोसा होगा, वरना तो परिवारवाद विरोध भी जुमला ही साबित होगा?
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झोला या परिवार! इनके पास परिवार-वाद, तो.... उनके पास परिवार-तोड़-वाद?
https://twitter.com/PalpalIndia/status/1492532118261739522
https://twitter.com/PalpalIndia/status/1491953954158088193
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिया त्यागपत्र, निजी कारणों का दिया हवाला
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