नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आयोग ने 2019 के चर्चित हैदराबाद एनकाउंटर को फर्जी करार दिया है और इसमें शामिल कुछ पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है और राज्य सरकार को मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमारी राय में आरोपियों को जानबूझ गोली मारी गई, ताकि उनकी मौत हो जाए. इसलिए एनकाउंटर में शामिल पुलिस अफसरों पर क्रिमिनल केस होना चाहिए. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस सिरपुरकर आयोग को 6 महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा था. लेकिन कोरोना महामारी की वजह के काम में देरी हुई और आयोग ने अगस्त 2020 के तय समय के बजाए इस साल जनवरी में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी. शुक्रवार को चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिपोर्ट को खोला.
यह था पूरा मामला?
26 नवंबर 2019 की रात हैदराबाद में 27 साल की एक वेटनरी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या की गई थी. 6 दिसंबर को तड़के करीब 3 बजे पुलिस ने चारों आरोपियों को संदिग्ध एनकाउंटर में मार गिराया था. इस मामले में हैदराबाद पुलिस ने चार लोगों का गिरफ्तार किया था. इसके बाद उन चारों का एनकाउंटर हुआ था. पुलिस का दावा था कि जब आरोपियों को क्राइम सीन पर ले जाया गया था, तो उन्होंने भागने की कोशिश की, इसके बाद पुलिस ने चारों को एनकाउंटर में मार गिराया. आम लोगों में इसकी अच्छी प्रतिक्रिया मिली और पुलिसकर्मियों को मामला सुलझाने के लिए तारीफ मिली. लेकिन पुलिस की कार्रवाई को सोची-समझी हत्या बताया जा रहा था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व जज जस्टिस वी एस सिरपुरकर की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित कर दी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिया त्यागपत्र, निजी कारणों का दिया हवाला
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