नई दिल्ली. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में कहा है कि भारतीय जनता पार्टी आगामी दो दशकों तक देश की राजनीति में प्रभावी बनी रहेगी और दूसरे दलों के लिए चुनावों में उसे हराना बहुत कठिन होगा. प्रशांत किशोर ने कहा है कि कांग्रेस को बिहार से सीखना चाहिए कि राजनीतिक विरोधी को चुनौती कैसे दी जाती है और विपक्ष में कैसे रहा जाता है. उनका इशारा बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से था.
प्रशांत किशोर ने कहा कि 1977 के दौर को छोड़कर आजादी के बाद से 1990 तक कांग्रेस पाटीज़् ही भारतीय राजनीति के केंद्र में रही. उस समय भी आज जैसा माहौल था. आप साथ रहिए या विरोध में, उस समय राजनीति का हर पैंतरा कांग्रेस की तरफ से होता था. उस दौर में कोई दूसरी पार्टी पैन इंडिया अपनी पहुंच नहीं बना पा रही थी. आज के दौर में बीजेपी ने वह पकड़ बना रखी है.
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य देखकर लगता है कि अगले 20-30 वर्षों तक देश की राजनीति के केंद्र में बीजेपी ही रहने वाली है. राजनीति चाहे उसके समर्थन में हो, या उसके विरोध में, लेकिन केंद्र में बीजेपी ही रहने वाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी को ऐसे रास्ते पर पहुंचा दिया है, जहां उसे चुनौती देना आसान काम नहीं लगता. राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए चचाज़् में बने रहने की जरूरत होती है. वह चाहे पॉजिटिव हो या नेगेटिव, लेकिन कांग्रेस इस मामले में फिसड्डी दिखती है.
प्रशांत किशोर ने कहा कि 1984 के दौर में कांग्रेस अपने चरम पर थी, उस समय मिली जीत ऐतिहासिक थी, वह बहुत बड़ी जीत थी. लेकिन 1990 के बाद के दौर में कांग्रेस सिमटने लगी. सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी एक बार फिर खड़ी हुई और अटल बिहारी वाजपेयी जैसी शख्सियत को चुनौती दी. उसके बाद 10 वर्षों तक संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन भारत की सत्ता में रहा, लेकिन इस दौर को ऐसा नहीं माना जा सकता कि हर तरफ कांग्रेस थी. वह गठबंधन की बैसाखी के सहारे सरकार बना तो रही थी, पर कांग्रेस की वह अपील नदारद थी जो 90 के दशक के पहले हुआ करती थी. बहुत से लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं कि 1984 के बाद से कांग्रेस ने अपने दम पर लोकसभा में बहुमत नहीं हासिल की है.
उन्होंने कहा कि यह सोचना कि जो ऊपर जा रहा है, वह नीचे भी आएगा ऐसा नहीं है. शायद हो ऐसा सकता है, लेकिन उसमें काफी समय है. बीजेपी आने वाले दशकों में भारत में एक ऐसी राजनीतिक पार्टी बनी रहेगी, जिसे चुनावों में हरा पाना बहुत कठिन होगा. भारत में एक स्तर पर जब आप एक बार 30 प्रतिशत से अधिक वोट सुरक्षित कर लेते हैं, तब किसी के चाहने भर से आप गायब नहीं होते. लेकिन इसका यह अर्थ भी नहीं है कि भाजपा हर चुनाव जीतती रहेगी. लेकिन वह राजनीति के केंद्र में जरूर रहेगी. भले ही यह उसके समर्थन में हो या उसके विरोध में.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दिए राजनीति में उतरने के संकेत, बनायेंगे अपनी नई पार्टी
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