ज्योतिष के अनुसार कुंडली को देखकर जानें वैवाहिक जीवन में तलाक होगा या कोम्प्रोमाईज़!

ज्योतिष के अनुसार कुंडली को देखकर जानें वैवाहिक जीवन में तलाक होगा या कोम्प्रोमाईज़!

प्रेषित समय :19:31:50 PM / Mon, Jun 6th, 2022

ज्योतिष ऐसा क्षेत्र है जिसके अंदर व्यक्ति को उसके जीवन के बारे में हर सवाल उत्सुकता व जिज्ञासाओं का सटीक उतर कुंडली की गणना के बाद दिया जा सकता है
व्यक्ति का जब जन्म होता है तो उसी समय कुंडली मे जो ग्रह नक्षत्र स्थिति बनती है जातक का जीवन उसी प्रकार चलता ह और जीवन मे वो सब घटनाए घटित होती ह जो जन्म के समय कुंडली मे निर्धारित हो जाती है 

चाहे व्यापार में लाभ हानि हो या विवाह तलाक सब पूर्वनिर्धारित होता है जिसकी कुंडली मे जो निर्धारित हो चुका है उसको वो फल भोगने ही पड़ते है और इसकी एक समय सीमा होती है जातक को उसी समय के भीतर वो घटित होता है जिसको महादशा फल कहते है

ज्योतिष में सप्तम भाव व द्वितीय भाव से विवाह ,वैवाहिक संबंध का विचार किया जाता हैं शुक्र विवाह स्त्री का कारक होता हैं एक पुरूष का वैवाहिक सुख इन तीन स्थितियों पर टिका रहता ह अगर इनमें कुछ ग्रह भाव आदि पीड़ित व दूषित हो जाये तो वैवाहिक जीवन मे अलगाव की स्थिति उतपन्न हो जाती है
जैसे
अगर कुंडली मे सप्तम भाव मे मंगल शत्रु राशि का य्या तुला राशि का स्थित हो जाये व सप्तमेश 6थे भाव मे स्थित हो तो तलाक व अलगाव की स्थिति उतपन्न हो जाती है
कुंडली मे अगर शुक्र कर्क राशि मे स्थित हो और सप्तम में शनि मंगल स्थित हो जाये तो विवाह में देरी होती है य्या तलाकशुदा से विवाह होता ह व विवाह के बाद भी वैवाहिक सुख नही मिलता है

कुंडली मे राहु सप्तम में स्थित हो और उसपर मंगल की दृष्टि पड़ रही हो व शप्तमेश अष्ठम में स्थित हो जाए या चतुर्थ व द्वादश में स्थित हो जाये तो निश्चित तलाक हो जाता है
अगर कुंडली मे चन्द्र व द्वादश भाव का स्वामी सप्तम में स्थित हो और सप्तमेष नीच पीड़ित व शत्रु राशि मे स्थित हो तो तलाक की नोबत आ जाती है 
शप्तमेश अपने भाव से सडॉस्ठक भाव मे स्थित हो और सप्तम भाव पर राहु शनि मंगल की दृष्टि हो तो वैवाहिक सुख नही मिलता व वैवाहिक संबंध खराब रहते है
कुंडली मे शुक्र नीच अस्त शत्रु क्षेत्री हो सप्तम भाव मे क्रूर ग्रह स्थित हो व मंगल सूर्य लग्न में स्थित हो तो तलाक हो जाता हैं
कुछ योग ऐसे है जो वैवाहिक सुख नही मिलने देते जैसे सूर्य मंगल युति, शनि चन्द्र युति, शनि मंगल युति, बुध मंगल युति, राहु मंगल युति, केतु शुक्र मंगल युति, चन्द्र सूर्य युति शुक्र शनि युति अगर द्वितीय भाव,लग्न, चतुर्थ, सप्तम,द्वादश भाव, अष्ठम भाव मे बने तो वैवाहिक संबंध खराब करते हैं
अगर सप्तम भाव व शप्तमेश पर गुरु शुक्र बुध आदि शुभ ग्रह की दृष्टि हो और ये ग्रह केंद्र त्रिकोण के स्वामी हो तो वैवाहिक जीवन टूटते टूटते बच जाता है य्या अलगाव व दूरी बनी रहती है पति पत्नी में लेकिन तलाक नही होने देते.

वैवाहिक जीवन की गणना करते वक्त नवमांश कुंडली नक्षत्र व उपनक्षत्र का भी विशेष महत्व होता है इन सब की ध्यान पूर्वक गणना करके ही निष्कर्ष पर पहुचना चाहिए
कई बार ऐसे होता है कि पति पत्नी में से एक कि कुंडली मे तलाक का योग होता ह ओर दूसरे में तलाक योग नही होता है ऐसी स्थिति में भी कोई निष्कर्ष नही निलकता है तलाक होता नही है और दोनो में दूरियां बनी रहती है यानी तलाक न होकर वैवाहिक सुख में दूरी बनी रहती हैं. 
Astrologer R kumar Sainee

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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