इस्लामाबाद. 2008 में हुए मुंबई हमले का मास्टरमाइंड भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों में से एक और मुंबई के 26/11 अटैक के मेन हैंडलर साजिद मीर को पाकिस्तान में 15 साल की सजा सुनाई गई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साजिद को ये सजा टेरर फाइनेंसिंग के मामले में सुनाई गई है. इसी के साथ पाकिस्तान का एक बड़ा झूठ भी सबके सामने आ गया है. जिसमें पाकिस्तान दावा करता रहा है कि मुंबई हमले का मुख्य कर्ता-धर्ता साजिद मीर उसके देश में नहीं है और संभवत: उसकी मौत हो चुकी है, लेकिन अब लाहौर की एंटी टेररिजम कोर्ट द्वारा उसे सजा सुनाए जाने से पाकिस्तान का झूठ बेनकाब हो गया है.
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी. इस हमले के प्रोजेक्ट मैनेजर बताए गए साजिद मीर की सजा के बारे में जानकारी एक सीनियर वकील ने दी है. ये वकील आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के नेताओं के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण केसों से जुड़े हैं. उन्होंने बताया कि इस महीने की शुरुआत में लाहौर में एंटी टेररिजम कोर्ट ने लश्कर से जुड़े साजिद मजीद मीर को 15 साल की जेल की सजा सुनाई है. उस पर 4 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है. वकील ने आगे बताया कि करीब 45 साल के साजिद मीर को अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था, तब से वह लाहौर की कोट लखपत जेल में है.
पाकिस्तान की पंजाब पुलिस का काउंटर टेररिजम विभाग अक्सर इस तरह के मामलों की जानकारी मीडिया को देता है, लेकिन साजिद मीर की सजा को लेकर उसने चुप्पी साध रखी है. इस सजा और अदालती कार्यवाही की जानकारी मीडिया को इसलिए भी नहीं हुई क्योंकि ये जेल के अंदर बंद कमरे में की गई थी, जहां जाने की मीडिया को अनुमति नहीं थी.
साजिद मीर भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में है. उसे मुंबई हमलों का प्रोजेक्ट मैनेजर कहा जाता है. उसने हमले से पहले 2005 में फर्जी पासपोर्ट और नकली नाम पर भारत का दौरा भी किया था. साजिद मीर ने ही डेविड कोलमैन हेडली और बाकी आतंकवादियों के साथ मुंबई में आतंकवादी हमले की प्लानिंग की थी. उसे लश्कर के सरगना हाफिज मोहम्मद सईद का करीबी माना जाता है. साजिद मीर को भारत ही नहीं, अमेरिका भी उसे पिछले एक दशक से खोज रहा है. एफबीआई ने उस पर 50 लाख डॉलर का इनाम भी घोषित किया था.
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान ने अपने खिलाफ लगे प्रतिबंधों से बचने के लिए साजिद मीर की गिरफ्तारी और सजा दिखाई है. दरअसल पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में है. इसके तहत उस पर आतंकी संगठनों को पनाह देने के आरोप में कई तरह की पाबंदियां लगी हुई हैं. पाकिस्तान जून 2018 से ग्रे लिस्ट में है. इस बार जर्मनी में हुई बैठक में एफएटीएफ ने कहा था कि वह पाकिस्तान का ग्राउंड वेरिफिकेशन करेगा और उसे ग्रे लिस्ट से बाहर करने पर फैसला सुनाएगा. कर्ज से बदहाल पाकिस्तान इस लिस्ट से बाहर निकलना चाहता है, इसीलिए वह ये दिखाना चाहता है कि वह अपने यहां आतंकियों पर लगाम कस रहा है.
इसी कवायद के तहत पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सरगना और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद पर शिकंजा कसने का दावा किया है. अमेरिका ने सईद पर 1 करोड़ डालर का इनाम घोषित किया था. पाकिस्तान ने जुलाई 2019 में आतंकवाद फैलाने के जुर्म में उसकी गिरफ्तारी दिखाई थी. उसके बाद लाहौर की एंटी टेररिजम कोर्ट ने टेरर फाइनेंसिंग के वित्तपोषण के मामलों में सईद को 68 साल कैद की सजा सुनाई. लेकिन इस तरह के आरोप लगते रहे हैं कि ये सिर्फ दिखावा है. सईद की ये सजाएं साथ-साथ चल रही हैं. इसका मतलब उसे ज्यादा सालों तक जेल में नहीं रहना होगा. मुंबई अटैक के ऑपरेशन कमांडर जकीउर रहमान लखवी को भी सजा सुनाई जा चुकी है. सईद और लखवी भी लाहौर की कोट लखपत जेल में हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जम्मू-कश्मीर: सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई, लश्कर के तीन आतंकवादी गिरफ्तार
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