आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 30 जून 2022, गुरुवार को प्रारंभ होगी जो 8 जुलाई तक चलेगी. गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा और साधना होती है.
तिथि : शुक्र प्रतिपदा 10:49 AM तक उसके बाद द्वितीया.
पुनर्वसु नक्षत्र के बाद पुष्य नक्षत्र : पुनर्वसु नक्षत्र 01:07 ए एम, जुलाई 01 तक रहेगा. इसके बाद पुष्य नक्षत्र रहेगा. पुष्य नक्षत्र में खरीदारी का शुभ योग रहता है.
शुभ योग :
1. सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन. 30 जून 05:48 से 1 जुलाई 01:07 AM तक.
2. अमृत सिद्ध योग : Jul 01 01:07 AM - Jul 01 05:48 AM तक.
3. ध्रुव योग : सुबह 09 बजकर 52 मिनट तक रहेगा.
4. अन्य योग : इसके अलावा अडाल और विडाल योग भी रहेगा.
शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:34 से 12:29 तक.
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:19 से 03:13 तक.
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:39 से 07:03 तक.
सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:52 से 07:54 तक.
अमृत काल मुहूर्त : रात्रि 10:25 से रात्रि 12:13 तक.
निशिथ मुहूर्त : रात्रि 11:41 से 12:22 तक.
घटस्थापना मुहूर्त- 30 जून सुबह 05:48 से सुबह 10:16 तक.
ग्रह संयोग : 30 जून को चंद्र और सूर्य मिथुन राशि में अमावस्या योग बना रहे हैं, शुक्र और बुध वृषभ राशि में मिलकर लक्ष्मी नारायण योग बना रहे हैं. मेष राशि में मंगल और राहु मिलकर अंगारक दोष और रूचक योग बना रहे हैं. बृहस्पति ग्रह अपनी स्वयं की राशि मीन में है. शनि कुंभ राशि में है. केतु तुला में है.
पुष्य नक्षत्र योग
*30 जून 2022 गुरुवार को रात्रि 01:07 (01 जुलाई 01:07 AM) से 01 जुलाई सूर्योदय तक गुरुपुष्यमृत योग है .
*108 मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –*
*ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |...... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |
गुरुपुष्यामृत योग
*‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
*इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं.
*कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में
*बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वास्तिक बनाकर घर में रखें |
Astro nirmal
गुप्त नवरात्रि 30 जून से 8 जुलाई 2022 तक
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