*नौ दिनों तक चलने वाले महापर्व नवरात्रि पर्व में माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न साधनाएं भी की जाती हैं. नवरात्रि में मनचाही सफलता के लिए विशेष उपाय भी किए जाते हैं. वहीं तंत्र शास्त्र के अनुसार नवरात्रि में किए गए उपाय जल्दी ही शुभ फल प्रदान कर सकते हैं. धन, नौकरी, स्वास्थ्य, संतान, विवाह, प्रमोशन आदि कई मनोकामनाएं इन 9 दिनों में किए गए उपायों से प्राप्त हो सकती है.
उपाय इस प्रकार हैं-*
मनपसंद वर के लिए
नवरात्रि के दौरान किसी भी दिन अपने आस-पास स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं. वहां भगवान शिव एवं मां पार्वती पर जल एवं दूध चढ़ाएं और पंचोपचार (चंदन, पुष्प, धूप, दीप एवं नैवेद्य) से उनका पूजन करें. अब मौली (पूजा में उपयोग किया जाने वाला लाल धागा) से उन दोनों के मध्य गठबंधन करें. अब वहां बैठकर लाल चंदन की माला से मंत्र का जाप 108 बार करें.
*मंत्र- 'हे गौरी शंकरार्धांगी. यथा त्वं शंकर प्रिया.*
*तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम..'*
इसके बाद तीन महीने तक रोज इसी मंत्र का जाप शिव मंदिर में अथवा अपने घर के पूजा कक्ष में मां पार्वती के सामने 108 बार करें. घर पर भी आपको पंचोपचार पूजा करनी है.
शीघ्र विवाह के लिए
नवरात्रि में शिव-पार्वती जी का एक चित्र अपने पूजा स्थल में रखें और उनकी पूजा-अर्चना करने के पश्चात मंत्र का 5 या 10 माला जाप नित्य करें. जाप के बाद भगवान शिव से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें.
*मंत्र- 'ऊं शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंसनाय, पुरुषार्थ चतुष्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा..'*
दांपत्य सुख के लिए
यदि जीवनसाथी से अनबन होती रहती है तो नवरात्रि में प्रतिदिन नीचे लिखी चौपाई को पढ़ते हुए 108 बार अग्नि में घी से आहुतियां दें. अब नित्य सुबह उठकर पूजा के समय इस चौपाई को 54 बार पढ़ें. यदि संभव हो तो अपने जीवनसाथी से भी इस चौपाई का जाप करने के लिए कहें.
*चौपाई- 'सब नर करहिं परस्पर प्रीति.*
*चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति..'*
धन लाभ के लिए
नवरात्रि के दौरान नौ दिन सभी कार्यों से निवृत्त होकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके पीले आसन पर बैठ जाएं. अपने सामने तेल के 9 दीपक जला लें. ये दीपक साधनाकाल तक जलते रहने चाहिए. दीपक के सामने लाल चावल (चावल को रंग लें) की एक ढेरी बनाएं फिर उस पर एक श्रीयंत्र रखकर उसका कुंकुम, फूल, धूप, तथा दीप से पूजन करें. उसके बाद एक प्लेट पर स्वास्तिक बनाकर उसे अपने सामने रखकर उसका पूजन करें. श्रीयंत्र को अपने पूजा स्थल पर स्थापित कर लें और शेष सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें. इस प्रयोग से आपको अचानक धन लाभ होने के योग बनते हैं.
मनचाही वधू के लिए
नवरात्रि में जो भी सोमवार आए, उस दिन सुबह किसी शिव मंदिर में जाएं, और पूरे मंदिर में झाड़ू लगाकर साफ करें इसके बाद शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाते हुए अच्छी तरह से साफ करें, फिर शुद्ध जल चढ़ाएं अब भगवान शिव की चंदन, पुष्प एवं धूप, दीप आदि से पूजा-अर्चना करें. रात 10 बजे बाद अग्नि प्रज्वलित कर ॐ नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए घी से 108 आहुति दें. अब 40 दिनों तक नित्य इसी मंत्र का पांच माला जाप भगवान शिव के सम्मुख करें. इससे शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूर्ण होने के योग बनेंगे.
सौभाग्य एवं धन लाभ के लिए
नवरात्रि में किसी भी दिन सुबह स्नान कर साफ कपड़े में अपने सामने मोती शंख को रखें और उस पर केसर से स्वास्तिक का चिह्न बना दें. इसके बाद इस मंत्र का जाप करें.
*मंत्र- 'श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:..'*
मंत्र का जप स्फटिक माला से ही करें, मंत्रोच्चार के साथ एक-एक चावल इस शंख में डालें, इस बात का ध्यान रखें की चावल टूटे हुए ना हो, इस प्रयोग लगातार नौ दिनों तक करें.
इस प्रकार रोज पांच माला जाप करें. उन चावलों को एक सफेद रंग के कपड़े की थैली में रखें और 9 दिन के बाद चावल के साथ शंख को भी उस थैली में रखकर तिजोरी में रखें.
मां जगदंबिका को आम अथवा गन्ने के रस से स्नाान करवाया जाए तो लक्ष्मी और सरस्वती ऐसे भक्त का घर छोड़कर कभी नहीं जातीं. वहां नित्य ही संपत्ति और विद्या का वास रहता है.
वेद पाठ के साथ यदि कर्पूर, अगरु (सुगंधित वनस्पति), केसर, कस्तूरी व कमल के जल से देवी को स्नान करवाया जाए तो सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है तथा साधक को थोड़े प्रयासों से ही सफलता मिलती है.
इसी प्रकार यदि देवी को दूध से स्नान करवाया जाए तो व्यक्ति सभी प्रकार की सुख-समृद्धि का स्वामी बनता है.
शास्त्रों के अनुसार दस महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए ऋषि विश्वामित्र और ऋषि वशिष्ठ ने बहुत प्रयास किए लेकिन उनके हाथ सिद्धि नहीं लगी वृहद काल गणना और ध्यान की स्थिति में उन्हें यह ज्ञान हुआ कि केवल नवरात्रों में शक्ति के इन स्वरूपों को सिद्ध किया जा सकता है.
नवरात्रों में दस महाविद्याओं की साधना कर ऋषि विश्वामित्र अद्भुत शक्तियों के स्वामी बन गए उनकी सिद्धियों की प्रबलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक नई सृष्टि की रचना तक कर डाली थी इसी तरह, लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने अतुलनीय शक्तियां प्राप्त करने के लिए नवरात्र में साधना की थी शुक्राचार्य ने मेघनाद को परामर्श दिया था कि नवरात्रों में अपनी कुल देवी निकुम्बला की साधना करके वह अजेय बनाने वाली शक्तियों का स्वामी बन सकता है मेघनाद ने ऐसा ही किया और शक्तियां हासिल की राम, रावण युद्ध के समय केवल मेघनाद ने ही भगवान राम सहित लक्ष्मण जी को नागपाश मे बांध कर मृत्यु के द्वार तक पहुंचा दिया था ऐसी मान्यता है कि यदि नास्तिक भी परिहास वश इस समय मंत्र साधना कर ले तो उसका भी फल सफलता के रूप में अवश्य ही मिलता है.
यही इस नवरात्र की महिमा है यदि आप मंत्र साधना, शक्ति साधना करना चाहते हैं और कामकाज की उलझनों के कारण साधना के नियमों का पालन नहीं कर पाते तो यह समय आपके लिए माता की कृपा ले कर आता है नवरात्रों में साधना के लिए आवश्यक न्यूनतम नियमों का पालन करते हुए मां शक्ति की मंत्र साधना कीजिए.
नवरात्र की साधना सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
नवरात्र में शक्ति साधना का संपादन आसानी से घर में ही किया जा सकता है इन महाविद्याओं की साधना के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है गुप्त व चामत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ अवसर होता है.
Astro nirmal
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2 अप्रैल 2022 से प्रथम नवरात्रि एवं हिंदु नववर्ष विक्रम संवत 2079
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श्री सुरभ्यै नमः अखंड संकीर्तन के साथ शिवपुरा में गौ-नवरात्रि गोपाष्टमी महोत्सव!
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