दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान मीडिया पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जजों को टारगेट करने की भी एक सीमा होती है. जजों की ओर से मामलों की सुनवाई न किए जाने से जुड़ी एक मीडिया रिपोर्ट को लेकर उन्होंने यह टिप्पणी की. दरअसल वकील की ओर से मेंशन एक केस में मांग की जा रही थी कि ईसाइयों के खिलाफ हिंसा और हमलों के खिलाफ दायर मामले की लिस्टिंग कर ली जाए. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मैंने तो इस संबंध में एक खबर पढ़ी थी कि इस मामले को सुनवाई के लिए नहीं लिया गया है.
इसके आगे जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को एक ब्रेक दो. मैं कोरोना से पीड़ित था और इसलिए मामला स्थगित हो गया था. मैंने खबर पढ़ी कि जज इस मामले को ले नहीं रहे हैं. हमें टारगेट करने की भी एक लिमिट है1
इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में 15 जुलाई को सुनवाई होने वाली थी, लेकिन बेंच उपलब्ध न होने के चलते ऐसा नहीं हो सका. यह अर्जी बेंगलुरु के बिशप डॉ पीटर मैकाडो की ओर से दायर की गई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि देश भर में ईसाई पादरियों और उनके संस्थानों पर हमले और उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं.
उनकी ओर से दायर अर्जी में अदालत से मांग की गई थी कि वह ईसाइयों के खिलाफ चल रही हिंसा को रोकने के लिए प्रशासन और राज्य सरकारों को कुछ आदेश दें. बिशप का कहना था कि ईसाइयों के खिलाफ हो रही हिंसक घटनाओं की जांच के लिए एसआईटी का गठन होना चाहिए और उनके सदस्य उस राज्य के बाहर से होने चाहिए, जहां का वह मामला हो. यही नहीं उनका कहना था कि कई मामलों में एसआईटी ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, लेकिन पीड़ितों के खिलाफ ही काउंटर एफआईआर दर्ज करा दी गईं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-लॉकडाउन में मजदूरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर खत्म होगी, दिल्ली पुलिस दाखिल करेगी क्लोजर रिपोर्ट
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