दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने एक दंपत्ति के 11 वर्षीय बेटे के सर्वोत्तम हित और कल्याण पर विचार किया और बेंगलुरु में रह रही मां को बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपने का आदेश देते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा कि बच्चा अपने मूल निवासी स्थान, अपनी मातृभूमि संयुक्त राज्य अमेरिका लौट जाए. इसके साथ ही न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें अमेरिका में रहने वाले पिता को लड़के की कस्टडी देने से इनकार कर दिया गया था.
न्यायमूर्ति रविकुमार ने फैसला लिखते हुए कहा कि विचाराधीन बच्चा एक लड़का है, जो अब लगभग 11 वर्ष का हो चुका है. वह अमेरिकी पासपोर्ट धारक और अमेरिकी नागरिक है. उसके माता-पिता यानी अपीलकर्ता और प्रतिवादी नंबर 3 स्थायी अमेरिकी निवासी कार्ड धारक हैं. इन पहलुओं पर उचित ध्यान नहीं दिया गया.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी संख्या 3 (मां) यह सुनिश्चित करे कि बच्चा तुरंत अमेरिका वापस जाए. प्रतिवादी संख्या 3 के साथ-साथ अपीलकर्ता (पिता) अपने बच्चे को अमेरिका वापस ले जाने लिए कानून के अनुसार आवश्यक कदम उठाए. कोर्ट ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि लड़का, जो 3 फरवरी, 2011 को अमेरिका में पैदा हुआ था, 2020 तक वहां रहा और यह कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त तथ्य व बच्चे के कल्याण पर उचित ध्यान नहीं दिया गया,
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि उसे 3 मार्च 2020 को मां द्वारा भारत लाया गया और एक स्कूल में भर्ती करा दिया गया और अब वह स्कूली शिक्षा के साथ सहज महसूस कर रहा है, इसलिए उसके भविष्य और कल्याण के लिए उसका बेंगलुरु में रहना, विचार करने के कारकों के रूप में नहीं लिया जा सकता है. यह ध्यान देना होगा कि 11 साल का लड़का अमेरिका में पैदा हुआ और करीब एक दशक तक वहां रहा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह तथ्य कि लड़का अमेरिका का एक स्वाभाविक नागरिक है. उसके पास अच्छे रास्ते और संभावनाएं होंगी, जिसकी उच्च न्यायालय ने बिल्कुल भी सराहना नहीं की थी. यहां की अदालतों को अमेरिकी अदालतों के उन आदेशों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जिन्होंने अमेरिका में रहने वाले पिता को बच्चे की कस्टडी सौंपी थी.
फैसले के अनुसार दंपति के बीच 2008 में भारत में शादी हुई और बाद में वे यूएसए चले गए और ग्रीन कार्डधारक बन गए. बाद में दोनों के रिश्ते में खटास आ गई और बच्चे को पिता की सहमति के बिना मां द्वारा भारत ले जाया गया, जिसे लेकर अमेरिका और भारत में दोनों के बीच अदालती लड़ाई हुई. पिता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उसे बच्चे की कस्टडी देने से इनकार कर दिया गया था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-वन रैंक-वन पेंशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की, कहा- फैसले में कोई कमी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को रखा बरकरार, कहा- प्रक्रिया मनमानी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने टूर ऑपरेटरों की याचिकाएं खारिज कीं, हज-उमराह के लिए GST में छूट नहीं मिलेगी
Leave a Reply