श्रावण मास की दुर्गा अष्टमी 5 अगस्त 2022 को, इस बार गुप्त नवरात्रि का भी रहेगा प्रभाव

श्रावण मास की दुर्गा अष्टमी 5 अगस्त 2022 को, इस बार गुप्त नवरात्रि का भी रहेगा प्रभाव

प्रेषित समय :20:39:00 PM / Thu, Aug 4th, 2022

हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है. पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की दुर्गाष्टमी 5 अगस्त 2022 को है. इस दिन दुर्गा माता को प्रसन्न करने के लिए पूरे भक्ति भाव से उनकी पूजा अर्चना की जाती है. इसके साथ ही भक्त मां दुर्गा के प्रति अपनी आस्था को प्रकट करने के लिए व्रत रखते हैं.*
*मासिक दुर्गाष्टमी को हिंदू धर्म में शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है. अष्टमी के दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके पूरे ब्रह्माण्ड को उस भयानक राक्षस के प्रकोप से मुक्त किया था. हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवी ने अपने भयानक और रौद्र रूप को धारण किया था, इसलिए इस दिन को देवी भद्रकाली के रूप में भी जाना जाता है.*
*इस दिन पूरी निष्ठा के साथ पूजा-पाठ करने और व्रत रखने वाले लोगों पर माता का आर्शीवाद बना रहता है. सच्चे भक्तजनों के सभी कष्ट-विकार दूर होते हैं और उनके घर में सुख-शांति बनी रहती है. मां की उपासना करने वालों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है.*
शुभ मुहूर्त

इस माह ये पर्व 5 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा.
आरंभ: 5 अगस्त 2022, शुक्रवार सुबह को 05:06 बजे से
समापन: 6 अगस्त 2022, शनिवार को सुबह 03:56 बजे तक.
आइए, अब जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी के दिन किन विशेष बातों का खास ख्याल रखना चाहिए और किन चीजों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए.*

कहा जाता है कि दुर्गाष्टमी के दिन घर में सुख और समृद्धि के लिए मां की ज्योति आग्नेय कोण में जलाना शुभ होता है. इसलिए इस दिन मां की ज्योति को आग्रेय कोण में ही जलाएं. इसके साथ ही इस दिन पूजा करने वाले भक्तों का मुख पूजा के समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए. साथ ही ध्यान रहें कि पूजा के समय पूजा का सामान दक्षिण-पूर्व दिशा में ही रखें. इसके अलावा मासिक दुर्गाष्टमी के दिन पूजा में तुलसी, आंवला, दूर्वा, मदार और आक के पुष्प का इस्तेमाल ना करें.इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए. कहा जाता है कि घर में कभी एक से अधिक मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो नहीं रखनी चाहिए.

दुर्गा अष्टमी व्रत करने से घर में खुशहाली और सुख समृद्धि आती हैं. आइए जानते हैं मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत की पूजा विधि के बारे में...

दुर्गाष्टमी पूजन विधि विधान

दुर्गाष्टमी का व्रत और पूजन साधकों को श्रद्धाभाव के साथ करनी चाहिए.दुर्गाष्टमी के दिन प्रात: उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. पूजा स्थान पर एक चौकी तैयार करें जिसपर लाल कपड़ा बिछा दें. इसके बाद गंगाजल छिड़क कर उसकी शुद्धि कर लें. फिर चौकी पर मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें. मां को अक्षत, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा में तुलसी, आंवला, दुर्वा, मदार और आक के फूल का इस्तेमाल न करें. इसके बाद फल व मिठाई का भोग लगाएं और धूप दीप जलाएं. पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती करें. दुर्गाष्टमी पर दुर्गा चालीसा का पाठ करें .
दुर्गाष्टमी की पूजा किस दिशा में करें 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दुर्गा अष्टमी के दिन पूजा पाठ करने के लिए मां दुर्गा की ज्योति आग्नेय कोण में जलाना चाहिए. पूजा करने वाले का मुख पूजा के समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. पूजा के समय पूजा का सामान दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए. इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती हैं.

दुर्गाष्टमी की पावन कथा
धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि सदियों पहले पृथ्वी पर दानव व असुर शक्तिशाली हो गए थे और स्वर्ग की ओर चढ़ाई करने लगे थे. उन्होंने अपनी शक्ति से कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग पर तबाही मचा दी. कहा जाता है कि इन असुरों में सबसे शक्तिशाली असुर का नाम महिषासुर था. महिषासुर का अंत करने के लिए शिवजी, भगवान विष्णु और ब्रह्मा देव ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया. इन सभी देवताओं ने मां दुर्गा को अपने विशेष हथियार प्रदान किए.
जिसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया. मां दुर्गा ने न सिर्फ महिषासुर के असुरों की सेना का वध किया बल्कि अंत में महिषासुर का भी वध कर दिया. इसके बाद ही दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा.

सावन के पूरे महीने में की जाने वाली भगवान शिव की भक्ति और सोमवार व्रत बहुत शुभ माने जाते हैं. वहीं सावन मास की दुर्गाष्टमी का भी अपना खास महत्व होता है. सावन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 5 अगस्त 2022, शुक्रवार को पड़ रहा है. मान्यता है कि जो भक्त दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की सच्चे मन से और नियमपूर्वक आराधना करता है उससे मां भगवती शीघ्र प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. 
पूजा के समय इस दिशा में जलाएं धूप-दीप

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्रावण मास की दुर्गा अष्टमी के दिन घर के आग्नेय कोण में धूप-दीप जलाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि मां दुर्गा की पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए और पूजन सामग्री दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना सही माना गया है. वहीं ज्योतिष अनुसार पूजा में गंगाजल, सिन्दूर, अक्षत और लाल पुष्प का उपयोग करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं.
पूजा में न करें इन चीजों का इस्तेमाल

जहां ज्योतिष शास्त्र में मां दुर्गा को प्रसन्न रखने ने कई उपाय बताए गए हैं वहीं पूजा में कुछ चीजों के इस्तेमाल की भी मनाही है. दुर्गा अष्टमी की पूजा में ज्योतिष अनुसार आंवला, आक का फूल, मदार, तुलसी के पत्ते तथा दुर्वा का इस्तेमाल करना शुभ नहीं माना जाता.

दुर्गा अष्टमी की व्रत कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था. उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे. दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से विनती कि वो इस परेशानी का हल निकालें. इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया. इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया. जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई. इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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