इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश: SC-ST Act में आरोपी पर आरोप सिद्धि के बाद ही पीडि़त को दिया जाए मुआवजा

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश: SC-ST Act में आरोपी पर आरोप सिद्धि के बाद ही पीडि़त को दिया जाए मुआवजा

प्रेषित समय :10:54:49 AM / Fri, Aug 5th, 2022

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम आदेश में राज्य सरकार से कहा है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कानून के तहत आरोपी पर आरोप सिद्ध होने पर ही पीडि़त को मुआवजा की राशि जारी की जाएए न कि प्राथमिकी दर्ज होने और आरोप पत्र दाखिल होने पर उसे हर्जाना दिया जाए. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस दिनेश सिंह ने इसरार अहमद उर्फ इसरार व अन्य की याचिका पर एक अहम आदेश दिया.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि हर दिन बड़ी संख्या में मामले आ रहे हैं, जहां राज्य सरकार से मुआवजा प्राप्त होने के बाद शिकायतकर्ता मुकदमा खत्म करने के लिए आरोपी के साथ समझौता कर लेते हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एक एकल पीठ ने 26 जुलाई को पारित किया था जो बृहस्पतिवार को वेबसाइट पर अपलोड किया गया.

अदालत ने कहा कि उसका विचार है कि करदाताओं के पैसे का इस प्रक्रिया में दुरुपयोग किया जा रहा है. अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में राज्य सरकार कथित पीडि़तों से मुआवजे की रकम वापस लेने के लिए स्वतंत्र है, जहां शिकायतकर्ता ने आरोपी के साथ मुकदमा वापस लेने के लिए समझौता कर लिया है या अदालत ने मुकदमा रद्द कर दिया है.

दरअसल, याचियों ने उनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत रायबरेली जिले की विशेष अदालत में दाखिल चार्जशीट और मुकदमे को खारिज किए जाने की मांग की थी. याचियों का कहना था कि इस मामले में उनका वादी के साथ सुलह, समझौता हो चुका है. वहीं उस मामले के वादी ने भी याचियों का समर्थन करते हुए सुलह की बात कही थी. कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर टिप्पणी की कि वादी को राज्य सरकार से मुआवजे के तौर पर 75 हजार रुपए मिल चुके हैं, जबकि बाद में इस मामले में समझौता हो गया. इस प्रकार से मुआवजा बांटकर टैक्सपेयर्स के पैसों का दुरुपयोग किया जा रहा है.

कोर्ट ने आगे कहा कि उचित यही होगा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत अभियुक्त की दोष सिद्धि होने पर ही पीड़ित को मुआवजा दिया जाए न कि एफआईआर दजज़् होने या मात्र चाजज़्शीट दाखिल होने पर. कोटज़् ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि जिन मामलों में मुआवजा दिया जा चुका है और वादी व अभियुक्त के बीच समझौते के आधार पर चाजज़्शीट खारिज की जा चुकी है, ऐसे मामलों में सरकार मुआवजे की रकम को वादी या पीड़ित से वापस लेने के लिए स्वतंत्र है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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