कृष्ण जन्माष्टमी तिथि को लेकर संशय करें दूर, अति शुभ योगों में मनाया जाएगा जन्मोत्सव

कृष्ण जन्माष्टमी तिथि को लेकर संशय करें दूर, अति शुभ योगों में मनाया जाएगा जन्मोत्सव

प्रेषित समय :21:47:10 PM / Thu, Aug 18th, 2022

*हिंदू मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जब रोहिणी नक्षत्र था तो इसी दौरान प्रभु श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. ऐसे में हर साल भादों के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी या जिसे कृष्ण जन्मोत्सव भी कहते हैं मनाया जाता है. वर्ष 2022 में कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन पर्व 19 अगस्त के दिन मनाया जाएगा.

*कृष्ण के भक्तों के लिए यह दिन बेहद ही खास, महत्वपूर्ण और खुशियों भरा रहता है. इस दिन हर कोई व्यक्ति तरह-तरह के पूजा अनुष्ठान आदि करके प्रभु श्री कृष्ण की प्रसन्नता हासिल करना चाहता है. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि आप किन उपायों को करके इस दिन श्रीकृष्ण की प्रसन्नता और आशीर्वाद अपने जीवन में हासिल कर सकते हैं.

*साथ ही हम आपको इस वर्ष जन्माष्टमी से जुड़ी ढेरों अन्य महत्वपूर्ण बातों की जानकारी, इस दिन बनने वाले शुभ संयोग की जानकारी, इस दिन की पूजा में किन चीजों को शामिल किया जाए और इस दिन क्या करें क्या ना करें जैसी महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं. तो इन सभी बातों का जवाब जानने के लिए अंत तक पढ़ें. सबसे पहले जान लेते हैं इस वर्ष जन्माष्टमी किस दिन है और इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

*जन्माष्टमी 2022: तिथि और शुभ मुहूर्त-

*जन्माष्टमी मुहूर्त्त (19 अगस्त-2022)
*निशीथ पूजा मुहूर्त: 24:03:00 से 24:46:42 तक
*अवधि : 0 घंटे 43 मिनट
*जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त : 05:52:03 के बाद 20, अगस्त को
*विशेष जानकारी:- उपरोक्त मुहूर्त स्मार्त मत के अनुसार दिए गए हैं. ध्यान रहे कि वैष्णव और स्मार्त सम्प्रदाय मत को मानने वाले लोग इस त्यौहार को अलग-अलग नियमों से मनाते हैं.* 

*जन्माष्टमी पर बन रहे हैं शुभ योग-संयोग-

इस वर्ष 18 अगस्त गुरुवार के दिन वृद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है. इसके अलावा जन्माष्टमी पर अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो यह 18 अगस्त को दोपहर 12:05 से शुरू होकर 12:56 तक रहने वाला है. इसके साथ ही वृद्धि योग 17 अगस्त को दोपहर 8:56 से शुरू होकर 18 अगस्त रात 8:41 तक रहेगा. ध्रुव योग 18 अगस्त को रात 8:41 से शुरू होकर 19 अगस्त को रात 8:59 तक रहेगा.
यानी कि इस वर्ष 18 और 19 अगस्त इन दोनों ही दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है और इन दोनों ही दिनों पर शुभ योगों का संयोग बनने वाला है.
*कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में इन मंत्रों का है विशेष महत्व-

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का हिंदू धर्म में बेहद ही महत्व बताया जाता है. इस दिन लोग श्री कृष्ण का आशीर्वाद अपने जीवन में प्राप्त करने के लिए पूजा पाठ करते हैं. साथ ही बहुत से लोग इस दिन व्रत भी करते हैं. इस दिन की पूजा रात में की जाती है. 
सिर्फ इतना ही नहीं कहते हैं जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उनके लिए कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत किसी वरदान से कम नहीं साबित होता है. इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत बेहद ही खास और फलदायी माना गया है. तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में आप किन मंत्रों को शामिल करके इस दिन का शुभ प्रभाव अपने जीवन में और ज्यादा प्राप्त कर सकते हैं.
*शुद्धि मंत्र-
*“‘ॐ अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोअपि वा. यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः..”
*स्नान मंत्र-
*“गंगा, सरस्वती, रेवा, पयोष्णी, नर्मदाजलैः. स्नापितोअसि मया देव तथा शांति कुरुष्व मे..”
*पंचामृत स्नान- 
*“पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु. शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्..
*भगवान श्रीकृष्ण को वस्त्र अर्पित करने का मंत्र-
*“शीतवातोष्णसन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्. देहालअंगकरणं वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे.” 
*भगवान को नैवेद्य भेंट करें-
*“इदं नाना विधि नैवेद्यानि ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि.”*
*भगवान को आचमन कराएं-*
*“इदं आचमनम् ओम नमो भगवते वासुदेवं, देवकीसुतं समर्पयामि.”*
*जन्माष्टमी की पूजा में अवश्य शामिल करें ये चीज़ें-नहीं तो अधूरी रह जाएगी कृष्ण की भक्ति*

*किसी भी पूजा में कुछ विशेष सामग्री या चीजों को शामिल करने का अलग ही महत्व होता है. कहते हैं अगर कथित पूजा में उन वस्तुओं को ना शामिल किया जाए तो व्यक्ति को कई बार पूजा का पूर्ण फल नहीं प्राप्त होता है. ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर कहीं आप से भी कोई चूक ना हो जाए ऐसे में आइए समय से पहले ही जान लेते हैं कि जन्माष्टमी की पूजा में किन चीजों को आपको मुख्य रूप से शामिल करना है:-*
इस दिन की पूजा में बांसुरी अवश्य शामिल करें क्योंकि बांसुरी न केवल श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय वस्तु है बल्कि सरलता और मिठास का प्रतीक भी होती है. 
इसके अलावा इस दिन भगवान कृष्ण के साथ गाय की मूर्ति अवश्य रखें. 
भगवान श्री कृष्ण के लिए बनाए गए भोग में तुलसी अवश्य डालें. 
इस दिन की पूजा में मोर पंख अवश्य शामिल करें. मोर पंख खुशहाली, सम्मोहन, और भव्यता का प्रतीक भी माना गया है. 
इसके अलावा इस दिन की पूजा में माखन मिश्री भी अवश्य शामिल करें. माखन मिश्री लड्डू गोपाल को बेहद ही प्रिय होती है. 
जन्माष्टमी का दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप को समर्पित होता है. ऐसे में इस दिन की पूजा में एक छोटा पालना या झूला अवश्य शामिल करें. 
वैजयंती माला श्री कृष्ण धारण किए रहते हैं इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में वैजयंती माला उन्हें पहनाना ना भूलें.
इसके अलावा घंटी, राधा कृष्ण की तस्वीर, कौड़ियाँ और पीले और चमकीले वस्त्र पूजा में अवश्य शामिल करें.

*यह जानते हैं आप? श्रीकृष्ण को क्यों चढ़ाया जाता है छप्पन भोग?

*हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं को पूजा में भोग लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. किसी भगवान को कोई भोग प्रिय होता है तो किसी भगवान को कोई अन्य भोग. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण की बात करें तो उन्हें छप्पन भोग लगाया जाता है. छप्पन भोग आखिर भगवान श्री कृष्ण को क्यों लगाया जाता है. आइए कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जान लेते हैं इसके पीछे की बड़ी और अनोखी वजह.*
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, भगवान कृष्ण को मां यशोदा बचपन में 8 बार भोजन कराया करती थीं. ऐसे में एक बार गांव के सभी लोग इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए आयोजन कर रहे थे. तब भगवान कृष्ण ने नंद बाबा से पूछा कि, यह आयोजन क्यों किया जा रहा है? तब नंद देव ने उन्हें बताया कि यह आयोजन भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए किया जा रहा है और वह प्रसन्न होने पर अच्छी वर्षा करेंगे जिससे हमारी फसल अच्छी होगी. 
तब प्रभु श्री कृष्ण ने कहा कि, ‘जब बारिश करवाना इंद्रदेव का काम होता है तो हम उनकी पूजा क्यों करते हैं? हम गोवर्धन पर्वत की पूजा क्यों नहीं करते जिससे हमें फल सब्जियां प्राप्त होती हैं? और साथ में हमारे पशुओं को चारा भी मिलता है.’ नन्हे कृष्ण की बात वहां मौजूद सभी को सटीक लगी. तब सभी ने इंद्र देव की पूजा ना करके गोवर्धन की पूजा की. 
इंद्रदेव को इस बात का काफी बुरा लगा और उन्होंने क्रोध में आकर भारी बारिश कर दी. कहा जाता है कि तब बारिश के इस प्रकोप से गोकुल वासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने 7 दिनों तक बिना कुछ खाए पिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाए रखा. अंत में जब बारिश रुकी और गोकुल वासियों के साथ प्रभु श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत के नीचे से आए तब सबको ध्यान आया कि कान्हा ने 7 दिनों तक कुछ खाया ही नहीं है. 
तब मां यशोदा ने उनसे 7 दिन और हर दिन के 8 पकवान के हिसाब से 56 तरह के अलग-अलग पकवान बनाकर भगवान कृष्ण को भोग लगाया और तभी से छप्पन भोग की यह अनोखी और खूबसूरत परंपरा की शुरुआत हुई.
*लड्डू गोपाल को भोग चढ़ाते वक्‍त रखें इन बातों का विशेष ध्‍यान

*श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर ही नहीं, कहा जाता है आमतौर पर भी जब घर में लड्डू गोपाल होते हैं उन्हें चार समय का भोग अवश्य लगाना चाहिए. हालांकि भोग लगाने के लिए कुछ नियम होते हैं. क्या होते हैं वह नियम आइए जान लेते हैं. इन नियमों का पालन आप श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भी अवश्य करें इससे आपको बाल गोपाल की कृपा अवश्य प्राप्त होगी.*
लड्डू गोपाल का पहला भोग सुबह उठते ही लगाएं. आमतौर पर आप यह भोग 6 से 7 बजे के बीच में लगा सकते हैं. इस दौरान सौम्य तरीके से ताली बजाते हुए लड्डू गोपाल को जगाएँ और फिर उन्हें दूध का भोग लगाएं. इसका आप बाद में इस्तेमाल कर सकते हैं. 
दिन का दूसरा भोग लड्डू गोपाल को स्नान कराने के बाद लगाएं. इस दौरान उन्हें साफ कपड़े पहनाएँ और उन्हें तिलक लगाएं. इस भोग में आप कृष्ण को माखन, मिश्री और लड्डू अर्पित कर सकते हैं या आप चाहें तो इस दौरान आप उन्हें फल भी चढ़ा सकते हैं. 
दिन का तीसरा भोग लड्डू गोपाल को दोपहर के समय लगाएं. इस दौरान आप उन्हें खाने की कोई ठोस वस्तु का भोग लगा सकते हैं. हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि इस भोग के भोजन में गलती से भी प्याज़-लहसुन का इस्तेमाल न हुआ हो.
दिन का चौथा भोग शाम के समय लगाया जाता है. इसमें आप भगवान कृष्ण को मेवे या फिर रात में घर में जो भी भोजन बना हो उसे आप लड्डू गोपाल को भोग रूप में अर्पित कर सकते हैं.
*कृष्ण जन्माष्टमी पर क्या करें-क्या न करें

*अंत में जान लेते हैं कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा के दौरान हमें क्या कुछ करना चाहिए और क्या काम करने से बचना चाहिए.*
इस दिन की पूजा में पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं. 
भोग में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें. 
भगवान श्री कृष्ण को नए वस्त्र अवश्य पहनाएँ. 
पूजा में हमेशा साफ बर्तनों का इस्तेमाल करें. इन बर्तनों में कभी भी मांसाहारी भोजन ना पकाया गया हो इस बात का विशेष ध्यान रखें. 
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पौधे को लाल चुनरी से ढक दें और घी का दीपक जलाएं. 
इस दिन की पूजा रात में ही करें. 
इस दिन किसी को भी दुखी ना करें और ना ही किसी के साथ बुरा व्यवहार करें. 
इस दिन भूल से भी पेड़ पौधे ना काटें और ना ही उन्हें तोड़ें और उखाड़े. 
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों की मदद और सेवा करें. 
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन महालक्ष्मी की पूजा अवश्य करें.

Astro nirmal

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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