रांची. सियासी संकट के बीच झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है. सोरेन सरकार की कैबिनेट ने गुरुवार को ओल्ड पेंशन स्कीम को अपनी मंजूरी दे दी है. यह योजना 1 सितम्बर 2022 से लागू होगी. इसके लागू होने के साथ ही 1 दिसंबर 2004 से लागू नई अंशदायी पेंशन योजना खत्म हो जाएगी.
राज्य में अभी लगभग 1.95 लाख स्थाई अधिकारी और कर्मचारी हैं. इनमें से 1.25 लाख नई पेंशन योजना के दायरे में हैं, जो 2004 में अंशदायी पेंशन योजना लागू होने के बाद बहाल हुए हैं. इन्हें इसका सीधा लाभ मिलेगा. राजस्थान, छत्तीसगढ़ के बाद इस योजना को लागू करने वाला झारखंड तीसरा राज्य बन गया है.
एसओपी के सुझावों के आधार पर लिया गया निर्णय
राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के लिए सरकार की तरफ से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) बनाने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था. इन्हीं के सुझावों के अध्ययन के आधार पर मुख्य सचिव ने इसका पूरा खाका तैयार किया है. इसमें भविष्य में आने वाली तमाम खामियों के निदान का भी ख्याल रखा गया है.
पुरानी पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए कर्मियों को इन शर्तों का करना होगा पालन
1. जो सरकारी कर्मचारी योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें इस बात का एफिडिवेट देना होगा कि उन्हें स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) की शर्तें मान्य हैं. कर्मचारियों की तरफ से किसी प्रकार की अतिरिक्त वित्तीय दावा राज्य सरकार से नहीं किया जाएगा.
2. एफिडेविट के तहत कर्मचारियों के नई अंशदायी पेंशन योजना के तहत वेतन से की जा रही 10 प्रतिशत मासिक अंशदान की कटौती (1 सितम्बर 2022 यानी सितम्बर माह के वेतन से) समाप्त हो जाएगी.
3. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) से सरकारी अंशदान और उस पर अर्जित ब्याज की राशि सीधे राज्य सरकार को अगर नहीं मिलती है, तो उस स्थिति में कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी अंशदान और उस पर अर्जित ब्याज की राशि संबंधित कर्मचारियों को सरकारी कोष में जमा करना होगा.
4. सरकारी अंशदान और उस पर अर्जित ब्याज की राशि हृस्ष्ठरु की मिलने की स्थिति में भविष्य के पेंशन के भुगतान को एक अलग निधि में रखा जाएगा.
5. ऐसे सरकारी कर्मचारी जिन्हें नई अंशदायी पेंशन योजना में सेवानिवृत्ति के बाद या उसके मृत्यु होने के बाद उनके परिजनों को सेवानिवृत्ति का लाभ मिल चुका हैं, ऐसे मामलों में अलग से दिशा-निर्देश जारी किया जाएगा.
नई पेंशन स्कीम से क्या था नुकसान
नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी के वेतन में से 10 फीसदी कटौती होती थी. उतना ही सरकार मिलाकर उसे निवेश करती थी. यह निवेश शेयर मार्केट की तरह उतार चढ़ाव पर आधारित होता था. रिटायरमेंट पर उसका जितना पैसा बनता था, उसका 60 फीसदी उन्हें भुगतान करने का प्रावधान था. शेष 40 फीसदी फिर से निवेश करने का प्रावधान था. इसमें से पेंशन का प्रावधान था, जो नहीं के बराबर था. रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मौत पर उनके आश्रित पति-पत्नी को किसी तरह की पेंशन का प्रावधान नहीं था और यह 40 फीसदी राशि भी सरकार के पास चली जाती थी. अब कर्मचारियों को इससे छुटकारा मिल जाएगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-झारखंड के सत्तारूढ़ यूपीए गठबंधन के विधायकों को एयरपोर्ट लेकर जा रही बस दुर्घटनाग्रस्त, सभी सुरक्षित
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