प्रथम भाव
लग्न में सूर्य हो तो जातक ऊर्जावान होता है . सूर्य की महादशा में स्वास्थ्य अच्छा रहता है . यदि बलवान हो तो जातक थोड़ा गर्म मिजाज़, गर्वीला हो सकता है. सूर्य की महादशा में साझेदारी के काम से लाभ प्राप्ति का योग बनता है . वैवाहिक जीवन सुखी रहता है
द्वितीय भाव
ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का भरपूर साथ मिलता है . वाणी उग्र होती है . सूर्य की महादशा में रुकावटों पर आसानी से विजय पा लेता है .
तृतीय भाव
तुला सूर्य देव की नीच राशि है . अतः जातक बहुत परश्रमी होता है . बहुत परिश्रम के बाद भी जातक का भाग्य उसका साथ कम ही देता है ।। छोटे भाई का योग बनता है . धर्म को नहीं मानता है. पिता से मतभेद रहते हैं . छोटे भाई बहन से नहीं बनती है .
चतुर्थ भाव
सूर्य की महादशा में चतुर्थ भाव में सूर्य होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख प्राप्त होता है . काम काज भी बेहतर स्थिति में होता है . विदेशसेटलमेंट की सम्भावना बनती है . जातक थोड़ा उग्र बात करने वाला हो सकता है , माता का बहुत सम्मान करता है . वृश्चिक राशि में आने पर जातक को माणिकरत्न धारण करना चाहिए .
पंचम भाव
अचानक लाभ की स्थिति बनती है . बड़े भाइयों बहनो से संबंध बहुत अच्छे रहते हैं , लाभ प्राप्ति का योग बनता है . स्वास्थ्य उत्तम रहता है , पुत्र प्राप्ति का योग बनता है
षष्टम भाव
कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है . दुर्घटना का भय बना रहता है . प्रतियोगिता में बहुत मेहनत के बाद विजयश्री हाथ आती है . सूर्य की महादशा में कोई न कोई टेंशन बनी रहती है .
सप्तम भाव
जातक/ जातीका का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है. पति / पत्नी घमंडी और थोड़ा झगड़ालू प्रवृत्ति के हो सकती है . व्यवसाय व् साझेदारों से लाभ प्राप्ति का योग बनता है.
अष्टम भाव
यहां सूर्य के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है . सूर्य की महादशा /अंतर्दशा में टेंशन बनी रहती है . बुद्धि साथ नहीं देती है .
नवम भाव
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त होता है . विदेश यात्रा करता है . छोटे भाई बहनो का साथ मिलता है .
दशम भाव
जातक को भूमि, मकान, वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है . प्रोफेशनल लाइफ अच्छी होती है , सरकारी नौकरी का योग बनता है. काम काज बहुत अच्छाचलता है .
एकादश भाव
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो से संबंध मधुर रहते है, लाभ मिलता है . पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है . पुत्र प्राप्ति का योग बनता है .बुद्धि थोड़ी अग्रेसिव हो जाती है .द्वादश भाव
मन परेशान रहता है . कोर्ट केस, हॉस्पिटल में खर्चा होता है . दुर्घटना का भय बना रहता है . सूर्य की महादशा में व्यर्थ का खर्च बना रहता है .
कृपया ध्यान दें ….सूर्य के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए . सूर्य के 3, 6, 8, 12 भाव में स्थित होने पर किसी भी सूरत में माणिक रत्न धारण न करें .
Khushi Soni Verma
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