नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस वी रामसुब्रह्मण्यम की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें अपीलकर्ताओं को दिए गए मुआवजे को 4,29,37,700 रुपये से घटाकर 57,90,000 रुपये कर दिया गया था. न्यायालय ने सड़क हादसे में मारे गए एक युवक के आश्रितों को सवा दो करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा देने का आदेश दिया.
मृतक के आश्रित न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
तिरुचिरापल्ली के मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने अपीलकर्ता को 4,29,37,700 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था. इस पर इश्योरेंस कंपनी ने हाई कोर्ट का सहारा लिया. 30 जून, 2017 को मद्रास हाई कोर्ट ने इस राशि को घटाकर 57 लाख 90 हजार कर दिया था. इसके बाद मृतक के आश्रितों ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
ऐसे हुआ था हादसा
मृतक एस कुमारेशन तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली का निवासी था. उसकी सेथाथुपट्टी और सोरियामपट्टी के बीच दो कारों की भिड़ंत में मौत हो गई थी. उस समय उसकी उम्र 31 साल थी और वह एक आयकरदाता था. वह एक व्यवसायी था और आभूषण, वस्त्र, निर्यात और ट्रांसपोर्टर का काम करता था. इसके अलावा उसे कृषि भूमि से भी आय प्राप्त होती थी. पत्नी, दो नाबालिग बच्चे और माता-पिता उसी पर निर्भर थे.
हाईकोर्ट के आदेश को किया रद
हाई कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के आदेश पर असहमति जताई थी. हाई कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कुमारेशन ने अपनी मृत्यु से पहले अपने नाबालिग बच्चों के पक्ष में कुछ साझेदारी फर्मों को स्थानांतरित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस तथ्य को नकारते हुए 7.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 2,27,12,400 की राशि मृतक के आश्रितों को देने का निर्देश दिया. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मुआवजा उचित और न्यायसंगत होना चाहिए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ईरान से चीन जा रहे विमान में बम होने की सूचना के बाद दिल्ली में नहीं मिली लैंडिंग की इजाजत
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