नई दिल्ली. चुनाव आयोग ने चुनावी वादों को लेकर राजनीतिक दलों को चिट्ठी लिखी है. इसमें आयोग ने कहा है- राजनीतिक पार्टियां अपने घोषणापत्र में वोटर्स को चुनावी वादों के बारे में सटीक जानकारी दें. साथ ही यह भी बताएं कि वे जो वादे कर रहे हैं, उसे पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधन हैं भी या नहीं?
देश के 6 राज्यों में 7 विधानसभा सीटों के लिए उप चुनाव की घोषणा के बाद लिखी इस चिट्ठी में आयोग ने कहा है- पॉलिटिकल पार्टीज को एक तय फॉर्मेट में वोटर्स को बताना चाहिए कि जो वादे किए जा रहे हैं, वे कितने सही हैं? इसके अलावा, वोटर्स को यह भी बताएं कि इन्हें पूरा करने के लिए राज्य या केंद्र सरकार के पास क्या वित्तीय संसाधन हैं.
चुनाव आयोग ने कहा- हम आंख मूंदकर नहीं बैठ सकते
आयोग ने कहा कि हम इस मुद्दे पर आंख मूंदे नहीं रह सकते हैं. अगर राजनीतिक दल सिर्फ खोखले वादे कर रहे हैं, तो इसके दूरगामी असर होंगे. आयोग ने अपनी चिट्ठी में सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर 19 अक्टूबर तक अपना सुझाव देने को कहा है.
फ्री स्कीम्स का मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग
चुनाव में फ्री स्कीम्स वादों पर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है. 25 अगस्त को सुनवाई के बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना ने इसे नई बेंच में ट्रांसफर कर दिया था. भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने फ्री स्कीम्स पर रोक लगाने के लिए याचिका दाखिल की है.
आयोग ने कहा था- फ्री वादों की परिभाषा तय करें
11 अगस्त को फ्री स्कीम्स पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल किया था. आयोग ने कोर्ट में कहा था कि फ्री का सामान या फिर अवैध रूप से फ्री का सामान की कोई तय परिभाषा या पहचान नहीं है. आयोग ने 12 पन्नों के अपने हलफनामे में कहा कि देश में समय और स्थिति के अनुसार फ्री सामानों की परिभाषा बदल जाती है. कोर्ट ने आयोग के रवैए पर फटकार लगाई थी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-ईरान से चीन जा रहे विमान में बम होने की सूचना के बाद दिल्ली में नहीं मिली लैंडिंग की इजाजत
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