जन्मकुंडली में मंगल शनि युति

जन्मकुंडली में मंगल शनि युति

प्रेषित समय :21:23:29 PM / Wed, Oct 5th, 2022

शनि मंगल युति को विस्फोटक योग, द्वंद्व योग, संघर्ष योग के नाम से जाना जाता है .
 वैदिक ज्योतिष में शनि और मंगल को एक-दूसरे के शत्रु ग्रह माना गया हैं. जिस जातक की कुंडली में ये दोनों ग्रह एक ही भाव में होते हैं या एक दूसरे से सप्तम भाव में होते है उन्हें अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.  दूसरी तरफ ये जातक को अच्छा योद्धा, बनने अच्छा तकनीकी ज्ञान देने, कर्मठ बनने में सहायक है.ऐसा जातक हार में हार ना मानने की संकल्प शक्ति होती है. यह युति अच्छी शिक्षा के माध्यम से जातक को डॉक्टर इंजिनियर बनाने में सहायक है. मैकेनिकल और निर्माण संबंधी योग्यता देने में सहायक है .
इस युति को द्वंद्व योग संघर्ष योग के नाम से भी जाना जाता है. द्वंद्व का अर्थ है लड़ाई , शनि मंगल का योग कुंडली में करियर के लिए संघर्ष देने वाला होता है.ये संघर्ष कुण्डली में मंगल शनि किस भाव में हैं,इस पर निर्भर और कुण्डली में अन्य योग पर निर्भर करता है.
शनि मंगल युति शुभ रिजल्ट
मंगल शनि की युति शुभ हो तो जातक को आर्मी ऑफिसर , पुलिस ऑफिसर , डॉक्टर सर्जन , इंजिनियर , कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्टर , बिल्डर बना सकती है. वहीं उचित शिक्षा के अभाव में एक अच्छा मैकेनिक बना सकती है.ये युति टेक्निकल कार्यो के लिए शानदार है.
 मंगल शनि युति प्रतियुति अगर द्वादश भाव में हो तो नींद में परेशानी देती है.स्त्री पुरुष पति पत्नी रिश्ते में कड़वाहट देती है.
 शनि मंगल का योग यदि कुंडली के छठे या आठवे भाव में हो तो स्वास्थ में कष्ट उत्पन्न करता है. शनि मंगल का योग जॉइंट्स पेन और एक्सीडेंट जैसी समस्याएं दे सकती है .
 लग्न में शनि-मंगल के होने से व्यक्ति अहंकारी या झगड़ालू और जिद्दी प्रवृति का हो सकता है जिस कारण वह अपने जीवन में हमेशा ऊट-पटांग निर्णय लेकर खुद को या परिवार को समस्या में डाल सकता है.
 मंगल शनि युति में अगर दोनों में से कोई एक ग्रह वक्री हो तो बहुत खराब रिजल्ट मिल सकते है .
 मंगल शनि युति में दोनों ग्रह मंगल शनि वक्री हो तो शनि मंगल के कारक तत्व में असामनता और अस्थिरता अाती है.ये दोनों ग्रह जिन भावो के स्वामी हो उनके रिजल्ट में भी अस्थिरता बन जाती है . 
शनि-मंगल की युति में घटनाएं
अचानक घटित होती है.ये शुभ-अशुभ दोनों प्रकार की हो सकती है. शनि और मंगल दोनों की गिनती पाप ग्रहों में होती है. कुंडली में इनकी अशुभ स्थिति भाव फल का नाश कर व्यक्ति को परेशानियों में डाल सकती है, वहीं शुभ होने पर वे व्यक्ति को सुख भी देती है.इस युति के जातक को पूर्ण स्थायित्व प्राप्त करने में कठिनाई , सफलता असफलता अचानक मिलती है. इस युति के जातक किसी के सामने झुकते नहीं है और क्रोधी स्वभाव के होते है. जिसके कारण कार्य क्षेत्र में समस्या का सामना करना पड़ता है.काम्या वैदिक एस्ट्रो 
लग्न ,सप्तम , चतुर्थ, अष्टम , द्वादश भाव में यह युति हानिकारक परिणाम देती है. मंगल के कारण तनाव-विवाद बनता है. मगर शनि आसानी से अलगाव नहीं होने देता है. जीवनसाथी के स्वास्थ्य में कष्ट बना रहता है.जातक की वाणी कटु होती है. जातक के जिद्दी हठी होने पर तालमेल के अभाव में वैवाहिक जीवन खराब हो सकता है .

Kamya Vedic Astro

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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