वाशिंगटन. अमेरिका के दौरे पर पहुंची भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां वाशिंगटन डीसी में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने विरोधियों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों खासकर प्रवर्तन निदेशालय के दुरुपयोग के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ईडी जो करती है, उसमें वह पूरी तरह से स्वतंत्र है. यह एक ऐसी एजेंसी है, जो विधेय अपराधों का अनुसरण करती है. ऐसे उदाहरण हैं जो इतने संज्ञेय होते हैं और यदि कुछ प्रथम दृष्टया साक्ष्यों के कारण ईडी के अधिकारी वहां जाते हैं, तो यह उनके हाथों में होता है.
इसके अलावा एक अन्य सवाल पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमने कई जी20 सदस्यों के साथ द्विपक्षीय चर्चा की है. हम ऐसे समय में इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं, जब बहुत सारी चुनौतियां हैं. हमें अन्य सदस्यों के साथ मिलकर काम करना होगा, यह देखने के लिए कि हम सभी चीजों को कैसे सर्वोत्तम तरीके से नेविगेट कर सकते हैं.
बिजली उत्पादन के लिए कोयले पर भारत की अत्यधिक निर्भरता के मुद्दे उन्होंने कहा कि पश्चिमी दुनिया ने देशों को कोयले की ओर बढ़ते देखा है, ऑस्ट्रिया पहले ऐसा ही कह चुका है. यूके में, सबसे पुरानी थर्मल इकाइयों में से एक फिर से वापस आ गई है. यह सिर्फ भारत नहीं है, कई देशों को ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयले की ओर वापस जाना पड़ा है, क्योंकि गैस का खर्च वहन नहीं किया जा सकता है या उपलब्ध नहीं है.
इससे एक दिन पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठक के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि अनिश्चितता भरी दुनिया में भारत असाधारण प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है. उनका यह बयान आईएमएफ के उस बयान के एक दिन बाद आया, जिसमें कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में भारत एक उज्ज्वल स्थान पर है.
सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा वित्त समिति को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर साल-दर-साल आधार पर 13.5 प्रतिशत रखी है, जो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक बाधाओं के बावजूद आईएमएफ का अनुमान है कि भारत 2022 और 2023 दोनों में 6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
वित्तमंत्री सीतारमण ने अनिश्चित भू-राजनीतिक संकट पर भी चिंता जताते हुए कहा कि तनावपूर्ण और अनिश्चित भू-राजनीतिक संकट सर्दियों में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में नयी चिंताओं को पैदा कर सकता है और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति नियंत्रण एक प्रमुख चिंता का विषय होगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के काफिले को रोकने की कोशिश की, बीजेपी-कांग्रेस कार्यकर्ताओं में संघर्ष
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