सिंह लग्न – प्रथम भाव में गुरु

सिंह लग्न – प्रथम भाव में गुरु

प्रेषित समय :21:02:49 PM / Wed, Nov 16th, 2022

यदि लग्न में गुरु हो तो जातक की बुद्धि बहुत शार्प हो जाती है ,पुत्र प्राप्ति का योग बनता है. दाम्पत्य जीवन के लिए गुरु शुभता प्रदान करते है और साझेदारी केकाम से लाभ का योग बनता है. भाग्य जातक का साथ देता है . जातक विदेश यात्राएं करता है .
द्वितीय भाव
ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का साथ मिलता है . जातक के परिवार में धन का आगमन होता रहता है . वाणी बहुत उम्दा होती है . गुरु की महादशा मेंरुकावटें जातक का सामना नहीं कर पाती हैं , भाग्य जातक का पूर्ण साथ देता है .
तृतीय भाव
जातक बहुत परश्रमी , पराक्रमी होता है . परिश्रम के बाद जातक का भाग्य उसका साथ अवश्य देता है . छोटे भाई का योग बनता है . दाम्पत्य जीवन , पार्टनरशिपमें दिक्कतें आती है. जातक पितृभक्त नहीं होता , धार्मिक होता है . बड़े भाई बहन से मन मुटाव रहता है .
चतुर्थ भाव
गुरु की महदशा में चतुर्थ भाव में गुरु होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का सुख प्राप्त होता है . रुकावटें दूर होती हैं . काम काज भी बेहतर स्थिति मेंहोता है . विदेश यात्राएं होती रहती हैं , विदेश सेटलमेंट की सम्भावना भी बनती है .
पंचम भाव
जातक की बुद्धि बहुत शार्प होती है, पुत्र प्राप्ति का यग बनता है , पिता – धर्म की दृष्टी से बहुत अच्छा होता है , जातक विदेश यात्राएं करता है , बड़े भाई बहन सेबनती है और नवी दृष्टि जातक को बहुत सूझवान बनाती है .
षष्टम भाव
कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है . दुर्घटना का भय बना रहता है . प्रतियोगिता में बहुत मेहनत के बाद विजयश्री हाथ आती है . प्रोफेशन बत्तर स्थिति में आजाता है , जातक धार्मिक नहीं रहता है . गुरु की महदशा में कोई न कोई टेंशन बनी रहती है . कुटुंबजन को समस्याएँ आती हैं . कुटुंब का साथ प्राप्त नहीं होता , जातक का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और विदेश सेटेलमेंट का योग भी बनता है .
सप्तम भाव
जातक / जातीका का जीवन साथी समझदार होता है , व्यवसाय व् साझेदारों से लाभ प्राप्ति का योग बनता है . बड़े भाई बहन से सम्बन्ध अच्छे रहते हैं , जातकसूझवान होता है , मेहनती होता है , छोटे भाई का योग बनता है .
अष्टम भाव
यहां गुरु के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है . फिजूल का व्यय होता रहता है . कुटुंब का साथ नहीं मिलता है , धन कीहानि होती है . पुत्र को परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं . भूमि , मकान , वाहन के सुख में कमी आती है , माता के साथ संबंधों में भी कड़वाहट रहती है . जातक केघर से दूर रहने का योग बनता है .
नवम भाव
जातक आस्तिक व् पितृ भक्त होता है . पिता से जुड़कर काम करे तो अधिक लाभ होता है . गुरु की पंचम दृष्टि जातक को सूझवान बनाती है , सप्तम मेहनती औरनवम दृष्टि से पुत्र प्राप्ति का योग बनता है , अचानक लाभ मिलता है , स्वास्थ्य उत्तम रहता है .
दशम भाव 
जातक का प्रोफेशन उत्तम रहता है . धन , परिवार , कुटुंब का पूर्ण साथ मिलता है . जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख मिलता है . कॉम्पिटिशन, कोर्ट केस में विजय होती है और रोग से छुटकारा मिलता है , लोन का भुक्तान समय पर होता है .
एकादश भाव
अपनी महादशा / अन्तर्दशा में बड़े-छोटे भाई बहनो से संबंध मधुर रहते है . पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है जो बाद में ठीक भी हो जाती है .पुत्र प्राप्ति का योग बनता है . बुद्धि , जातक बहुत मेहनती होता है . दाम्पत्य सुख प्राप्त होता है , पार्टनरशिप से लाभ मिलता है , दैनिक आय में इजाफा होता है .
 द्वादश भाव 
हमेशा कोई ना कोई टेंशन बनी रहती है . पुत्र से नहीं बनती . मन परेशान रहता है . माता को / से कष्ट प्राप्त होता है , मकान , वाहन भूमि का सुख नहीं मिलता है. कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है . दुर्घटना का भय बना रहता है . गुरु की महदशा में व्यर्थ का खर्च बना रहता है . हर काम में रुकावट आती है .

कृपया ध्यान दें ….गुरु के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए . मंगल के ३,६,८,१२ भाव में स्थित होने पर किसी भी सूरत में पुखराज रत्नधारण न करें ( अस्त हो जाए तो पहना जा सकता है ) . गुरु जनों का सम्मान करें, पूजा पाठ में मन लगाएं, गुरूवार का व्रत रखें, पीले चावल का सेवन करें . ये उपाय सभी के लिए लाभदायक हैं.
Khushi Soni Verma
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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