लग्न अनुसार अशुभ शुक्र से मिलने वाले अनुभव आधारित फल

लग्न अनुसार अशुभ शुक्र से मिलने वाले अनुभव आधारित फल

प्रेषित समय :18:54:28 PM / Fri, Nov 25th, 2022

आज हम लग्न अनुसार अशुभ शुक्र की चर्चा करेंगे जिससे आप स्वयं ही अपनी
पविका में शुक्र की स्थिति देख सकें. इसमें आप केवल इस योग के आधार पर ही शुक्र को एकदम अशुभ न समझ ले अपितु अन्य योग भी देखें जिनकी में पिछले लेखों में चर्चा कर चुका हूं व शुक्र के साथ बैठे ग्रह को देखे. शुक्र पर कौन सा ग्रह दृष्टि डाल रहा है, वह मित्र है अथवा शत्रु है, इसके बाद ही निष्कर्ष निकालें कि शुक्र कितना अशुभ अथवा शुभ है.
मेष लग्न  इस लग्न का स्वामी मंगल है जो शुक्र का सम ग्रह है फिर भी शुक्र इस लग्न में तृतीय, सप्तम, नवम व एकादश भाव में बहुत ही अशुभ फल देता है.
वृषभ लग्न इस लग्न का स्वामी स्वयं शुक्र है, इसलिये शुक्र इस लग्न में तृतीय,
चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, एकादश व द्वादश भाव में अशुभ होता है.
मिथुन लग्न इस लग्न का स्वामी स्वयं बुध होता है, इसलिये शुक्र यहां धन भाव, तृतीय, षष्ठम, अष्टम, नवम भाव व दशम भाव में अशुभ फल देता है.
कर्क लग्न इस लग्न का स्वामी चन्द्र है जो शुक्र का शत्रु है फिर भी शुक्र तृतीय, चतुर्थ, सप्तम, नवम व आय भाव में अशुभ होता है.
सिह लग्न  इस लग्न का स्वामी सूर्य भी शुक्र का परम शत्रु है फिर भी शुक्र पराक्रम भाव, रोग भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव तथा व्यय भाव में अधिक अशुभ फल
देता है.
कन्या लग्न कन्या लग्न का स्वामी भी बुध होता है, इसलिये शुक्र तृतीय, षष्ठम
व व्यय भाव में अशुभ फल देता है.
तुला लग्न इस लग्न का स्वामी स्वयं शुक्र है, इसलिये शुक्र इस लग्न में तृतीय
षष्ठम, अष्टम तथा द्वादश भाव में विशेष अशुभ फल देता है.
वृश्चिक लग्न इस लग्न का स्वामी मंगल है जो शुक्र का सम ग्रह है, फिर भी इस लग्न में शुक्र लग्न, धन भावि, चतुर्थ, पचम, नवम तथा दशम भावों के अतिरिक्त अन्य
सभी भावों में विशेष अशुभ होता है.
धनु लग्न इस लग्न का स्वामी स्वयं गुरु है जो शुक्र का विशेष शत्रु परन्तू तृतीय, पंचम, षष्ठम, आय तथा व्यय भाव में अत्यधिक अशुभ फल देता है.
मकर लग्न इस लग्न का स्वामी शनि है. शुक्र इनका विशेष मित्र है फिर भी शुक्र इस लग्न में केवल तृतीय भाव, रोग भाव, आयुष्य भाव तथा द्वादश भाव में अशुभ
फल देते देखा गया है.
कुभ लग्न इस लग्न का स्वामी शनि है, इसलिये शुक्र इस लग्न में भी केवल तृतीय भाव, रोग भाव, अष्टम भाव, दशम भाव तथा व्यय भाव में अशुभ फल देता है.
मीन लग्न- इस लग्न का स्वामी भी स्वयं गुरु है परन्तु शुक्र तृतीय, षष्ठम, अष्टम, एकादश तथा द्वादश भाव में अत्यधिक अशुभ फल देता है.
पं देवशर्मा
Upadhyaya Devendra

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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