तुरंत सफलता के लिए माँ विंध्यवासिनी की पूजा करना चाहिए

तुरंत सफलता के लिए माँ विंध्यवासिनी की पूजा करना चाहिए

प्रेषित समय :19:42:04 PM / Tue, Nov 29th, 2022

शास्त्रों में माँ विंध्यवासिनी की रहस्यमयी तांत्रिक साधना वर्णित है. यह साधना अत्यंत गोपनीय है. इसके माध्यम से किसी भी कार्य में तुरंत सफलता प्राप्त होती है. दूसरे शब्दों में कहें तो तुरंत सफलता प्राप्ति के लिए विंध्यवासिनी साधना उपयोगी होती है.
विनियोग
ॐ अस्य विंध्यवासिनी मन्त्रस्य
विश्रवा ऋषि अनुष्टुपछंद: विंध्यवासिनी
देवता मम अभिष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोग:।
न्यास
ॐ विश्रवा ऋषये नम: शिरसि
अनुष्टुप छंदसे नम: मुखे ।।2।।
विंध्यवासिनी देवतायै नम: हृदि ।।3।।
विनियोगाय नम: सर्वांगे ।।4।।
करन्यास 
एहं हिं अंगुष्ठाभ्यां नम:।।1।।
यक्षि-यक्षि तर्जनीभ्यां नम:।।2।।
महायक्षि मध्यमाभ्यां नम: ।।3।।
वटवृक्षनिवासिनी अनामिकाभ्यां नम:।।4।।
शीघ्रं मे सर्वसौख्यं कनिष्ठिकाभ्यां नम:।।5।।
कुरू-कुरू स्वाहा करतलकर पृष्ठाभ्यां नम:।।6।।
ध्यान
अरूणचंदन वस्त्र विभूषितम.
सजलतोयदतुल्यन रूरूहाम्।।
स्मरकुरंगदृशं विंध्यवासिनी.
क्रमुकनागलता दल पुष्कराम्।।
प्रयोग विधि
इस महत्वपूर्ण एवं अत्यंत गोपनीय साधना को भाग्यशाली साधक ही कर पाता है. अमावस्या की रात को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर सामने विंध्यवासिनी साधना मंत्र प्रतिष्ठापित करे. सामने की तरफ सात गोल सुपारी रख लें. घी का दीपक एवं 7 अगरबत्ती जलाएँ.
सप्त सुपारी पूजा
ॐ कामदायै नम:।।1।।
ॐ मानदायै नम:।।2।।
ॐ नक्तायै नम: ।।3।।
ॐ मधुरायै नम: ।।4।।
ॐ मधुराननायै नम: ।।5।।
ॐ नर्मदायै नम: ।।6।।
ॐ भोगदायै नम:।।7।।
तत्पश्चात सोने के बेहद बारीक तार से विंध्येश्वरी यंत्र को लपेटें तथा सफलता के लिए प्रार्थना करें. जिस कार्य में तुरंत सफलता चाहिए उसका सिलसिलेवार स्मरण करें. जैसे उस कार्य के आरंभ से लेकर मंत्र साधना तक क्या-क्या उतार-चढ़ाव आए. कितनी बाधाएँ आईं और सफलता के संबंध में आपकी शंकाएँ क्या-क्या हैं.
पूजन के बाद स्फटिक की माला से मंत्र का जाप करें. 11 दिन तक रोज 51 माला मंत्र जप विंध्यवासिनी यंत्र के सामने आवश्यक है.
मंत्र 
एह्ये हि यक्षि महायक्षि
विंध्यवासिनी शीघ्रं मे
सर्व तंत्र सिद्धि कुरू-कुरू स्वाहा.
यह साधना 11 दिनों तक नियमित रूप से की जानी चाहिए. सौभाग्यशाली साधकों के मार्ग में साधना के दौरान कोई बाधा नहीं आती. इस साधना के सफल होने के बाद अन्य कोई साधना निष्फल नहीं होती. साथ ही तुरंत सफलता प्राप्ति हेतु यह साधना अत्यंत उपयोगी है.
श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब . सन्तजनों के काज में करती नहीं विलम्ब ।।
जय जय जय विन्ध्याचल रानी . आदि शक्ति जग विदित भवानी ।।
सिंहवाहिनी जय जग माता . जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता ।।
कष्ट निवारिणि जय जग देवी . जय जय जय असुरासुर सेवी ।।
महिमा अमित अपार तुम्हारी . शेष सहस मुख वर्णत हारी . .
दीनन के दुख हरत भवानी . नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी ।।
सब कर मनसा पुरवत माता . महिमा अमित जगत विख्याता ।।
जो जन ध्यान तुम्हारो लावे . सो तुरतहि वांछित फल पावे ।।
तु ही वैष्णवी तुही रुद्राणी . तुही शारदा अरु ब्रहमाणी ।।
रमा राधिका श्यामा काली . तुही मात सन्तन प्रतिपाली ।।
उमा माधवी चण्डी ज्वाला . वेगि मोहि पर होहु दयाला ।।
तुही हिंगलाज महारानी . तुही शीतला अरु विज्ञानी ।।
दुर्गा दुर्ग विनाशिनि माता . तुही लक्ष्मी जग सुखदाता ।।
तुही जान्हवी अरु इन्द्राणी . हेमावती अम्ब निर्वाणी ।।
अष्टभुजी वाराहिनि देवी . करत विष्णु शिव जाकर सेवी ।।
पाटन मुम्बा दन्त कुमारी . भद्रकाली सुन विनय हमारी ।।
वज्रधारिणी शोक विनाशिनी . आयु रक्षिणी विन्ध्यनिवासिनी ।।
जया और विजया बैताली . मातु सुगन्धा अरु विकराली ।।
नाम अनन्त तुम्हार भवानी . बरनै किमि मानुष अज्ञानी ।।
जा पर कृपा मातु तव होई . तो वह करै चहै मन जोई ।।
कृपा करहु मो पर महारानी . सिद्घ करहु अम्बे मम बानी ।।
जो नर धरै मातु कर ध्याना . ताकर सदा होय कल्याना ।।
विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै . जो देवी का जाप करावै ।।
जो नर कहं ऋण होय अपारा . सो नर पाठ करै शत बारा ।।
निश्चय ऋण मोचन होई जाई . जो नर पाठ करै मन लाई ।।
अस्तुति जो नर पढ़े पढ़ावै . या जग में सो अति सुख पावै ।।
जाको व्याधि सतावै भाई . जाप करत सब दूरि पराई ।।
जो नर अति बन्दी महं होई . बार हजार पाठ कर सोई ।।
निश्चय बन्दी ते छुटि जाई . सत्य वचन मम मानहु भाई ।।
जा पर जो कछु संकट होई . निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ।।
जो नर पुत्र होय नहि भाई . सो नर या विधि करे उपाई ।।
पाँच वर्ष सो पाठ करावै . नौरातर में विप्र जिमावै ।।
निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी . पुत्र देहि ता कहं गुणखानी ।।
ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै . विधि समेत पूजन करवावै ।।
नितप्रति पाठ करै मन लाई . प्रेम सहित नहिं आन उपाई ।।
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा . रंक पढ़त होवे अवनीसा ।।
यह जनि अचरज मानहुं भाई . कृपा दृष्टि ता पर होइ जाई ।।
जय जय जय जगमातु भवानी . कृपा करहुं मोहि निज जन जानी ।।
श्री विंध्यवासिनी माता स्तोत्रम्
ध्यानः नंद गोप गृहे जाता यशोदा गर्भसम्भवा|
ततस्तो नाश यष्यामि विंध्याचल निवासिनी ||
निशुम्भशुम्भमर्दिनी, प्रचंडमुंडखंडनीम |
वने रणे प्रकाशिनीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||१||
त्रिशुलमुंडधारिणीं, धराविघातहारणीम |
गृहे गृहे निवासिनीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||२||
दरिद्रदु:खहारिणीं, संता विभूतिकारिणीम |
वियोगशोकहारणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||३||
लसत्सुलोललोचनां, लता सदे वरप्रदाम |
कपालशूलधारिणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||४||
करे मुदागदाधरीं, शिवा शिवप्रदायिनीम |
वरां वराननां शुभां, भजामि विंध्यवासिनीम ||५||
ऋषीन्द्रजामिनींप्रदा,त्रिधास्वरुपधारिणींम |
जले थले निवासिणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||६||
विशिष्टसृष्टिकारिणीं, विशालरुपधारिणीम |
महोदरे विलासिनीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||७||
पुरंदरादिसेवितां, मुरादिवंशखण्डनीम |
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विंध्यवासिनीम ||८||
माँ विन्ध्येश्वरी साधना एवं मंत्र तुरंत सफलता के लिए माँ विंध्यवासिनी की पूजा करना चाहिए.
Koti Devi Devta

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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