मां नर्मदा जयंती के साथ भीष्म अष्टमी, सूर्य को जरूर अर्घ्य दें

मां नर्मदा जयंती के साथ भीष्म अष्टमी, सूर्य को जरूर अर्घ्य दें

प्रेषित समय :20:02:04 PM / Fri, Jan 27th, 2023

*28 जनवरी 2023  शनिवार को मां नर्मदा जयंती के साथ भीष्म अष्टमी, भीष्म श्राद्ध दिवस है | भीष्मजी के नाम से सूर्य को अर्घ्य दें  तो संतान हीन् को संतान मिल सकती है और आरोग्य आदि प्राप्त होता है |*
भीष्म तर्पण दिवस 
भीष्मजी को जल अर्पण करें और संतान की प्राप्ति की इच्छा करें तो तेजस्वी आत्मा आती है ऐसा 28 जनवरी 2023  शनिवार को है इस बार शुक्ल अष्टमी तिथि, धवल निबंध ग्रंथ के अनुसार इस तिथि को भीष्म जी का तर्पण दिवस भी है ब्रह्मचारी भीष्म जी का तर्पण करने से लड़के लड़कियाँ तेजस्वी हो सकते हैं।*
भीष्म अष्टमी
माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीष्म अष्टमी कहते हैं. धर्म शास्त्रों के अनुसार,इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्यागे थे।*
उनकी स्मृति में यह व्रत किया जाता है. इस दिन प्रत्येक हिंदू को भीष्म पितामह के निमित्त कुश,तिल व जल लेकर तर्पण करना चाहिए,चाहे उसके माता-पिता जीवित ही क्यों न हों. इस व्रत के करने से मनुष्य सुंदर और गुणवान संतान प्राप्त करता है-
माघे मासि सिताष्टम्यां सतिलं भीष्मतर्पणम्।*
*श्राद्धच ये नरा:कुर्युस्ते स्यु:सन्ततिभागिन:।।*
*(हेमाद्रि)*
महाभारत के अनुसार जो मनुष्य माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म के निमित्त तर्पण,जलदान आदि करता है,उसके वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं-*
शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्।*
*संवत्सरकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति।।
ऐसे करें भीष्म अष्टमी व्रत* 
भीष्म अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर स्नान करना चाहिए. यदि नदी या सरोवर पर न जा पाएं तो घर पर ही विधिपूर्वक स्नानकर भीष्म पितामह के निमित्त हाथ में तिल, जल आदि लेकर अपसव्य (जनेऊ को दाएं कंधे पर लेकर) तथा दक्षिणाभिमुख होकर निम्नलिखित मंत्रों से तर्पण करना चाहिए
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।*
*गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।*
*भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।*
*आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।*
इसके बाद पुन: सव्य (जनेऊ को बाएं कंधे पर लेकर) होकर इस मंत्र से गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य देना चाहिए
वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च।*
*अर्घ्यंददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।*

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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