प्रदीप द्विवेदी. आजकल सामनेवाले व्यक्ति के मन की बात, समस्या बता देने के बाबाओं के चमत्कार भले ही चर्चाओं में हों, लेकिन.... शंकर महाराज से बड़ा चमत्कार कोई नहीं दिखा सकता है? क्योंकि....
एक- शंकर महाराज इंसान नहीं, बैल हैं, जो हर सवाल का सही जवाब देते हैं!
दो- सबसे बड़ी बात.... एक बैल इंसान की पूरी भाषा कैसे समझ सकता है?
वैसे तो मुझे जीवन में कईं ज्योतिषी मिले, लेकिन भूत, भविष्य और वर्तमान का जो चमत्कार शंकर महाराज बैल ने दिखाया वह अद्भुत था!
इसमें दो महत्वपूर्ण बातें थीं, एक बात यह थी कि शंकर महाराज इंसानों की भाषा कैसे समझ रहे थे? आमतौर पर पशुओं को भाषा समझाई जाती है, लेकिन उसकी सीमा है, वह उसी को फॉलो कर पाते हैं जो उनको अनेक बार समझाया जाता है.
परन्तु, शंकर महाराज से तो हर तरह की बात पूछी जा रही थी और वह उस हर बात को समझ रहे थे, जो समझना केवल इंसान के बस में है.
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि- उन्होंने जो कुछ भी बताया शत प्रतिशत सत्य था, कोई किन्तु-परन्तु नहीं था.
यह वर्ष 1998 था, जब मैं दैनिक भास्कर में था, उपाध्याय पार्क, बांसवाड़ा के पास में शंकर महाराज का कार्यक्रम चल रहा था. शंकर महाराज एक बैल हैं, जो कोई भी सवाल पूछा जाता है, उसका सही-सही जवाब दे रहे थे. क्योंकि, शंकर महाराज इंसान की तरह बोल तो नहीं पाते हैं, इसलिए उनसे हर सवाल का जवाब हासिल करने के लिए उन्हें, उस तरह से सवाल पूछा जाता था कि वह अपना जवाब हां या ना में दे सकें या फिर उस व्यक्ति तक पहुंच कर बता सकें!
जब शंकर महाराज से पूछा गया कि यहां पर ऐसा कौन सा व्यक्ति है, जो अपने घर के सारे कामकाज छोड़कर जनता के काम में लगा रहता है, तो शंकर महाराज घूमे और फिर एक व्यक्ति के पास में जाकर खड़े हो गए, वह व्यक्ति मोर गांव का सरपंच था और आश्चर्यजनक बात यह कि वह बांसवाड़ा आया भी जनता के काम के लिए ही था. उसके साथ वालों ने भी बता दिया कि वह अपने घर से ज्यादा इस बात का ध्यान रखता है कि लोगों का काम कैसे हो?
शंकर महाराज से पूछा गया कि यहां कौन सा ऐसा व्यक्ति है जिसकी शादी अचानक हो गई? शंकर महाराज एक 85 साल के बुजुर्ग के पास जाकर खड़े हो गए. कितने आश्चर्य की बात है कि एक 85 साल के बुजुर्ग की शादी कैसे हुई होगी, बगैर बताए यह जानना असंभव है. जब उस बुजुर्ग से पूछा गया कि आपकी शादी कैसे हुई? तो उसने बताया कि- मैं एक शादी में गया हुआ था, जहां पर वर-वधू पक्ष में विवाद हो गया तो नतीजा यह रहा कि वधू पक्ष वालों ने बोल दिया कि अगर कोई और लड़का तैयार हो तो हम शादी करा सकते हैं. मैं तैयार हो गया और मेरी शादी हो गई. कितनी मजेदार बात है?
शंकर महाराज से पूछा गया कि यहां पर सबसे कीमती घड़ी किसने पहन रखी है. मैंने अपने आसपास देखा वहां पर एक व्यक्ति की घड़ी करीब हजार रुपए की रही होगी, तो मुझे लगा कि शंकर महाराज उसके पास आएंगे, लेकिन वे तो भीड़ में पीछे खड़े एक व्यक्ति के पास गए, जो कुछ दिन पहले ही कुवैत से आया था और उसने करीब दस हजार रुपए की घड़ी पहन रखी थी.
शंकर महाराज से जब यह पूछा गया कि यहां पर ऐसा कौन व्यक्ति है जिसका जीवन सीधा-सरल रहा है. शंकर महाराज मेरे मित्र इंजिनियर भरत त्रिवेदी के पास में आकर खड़े हो गए. यह जवाब भी बिल्कुल सही था.
जब शंकर महाराज से मेरे बारे में पूछा गया कि क्या मेरा तबादला होगा? तो शंकर महाराज ने हां में सिर हिलाया. उनसे पूछा गया कि तबादला कब होगा? एक महीने बाद उन्होंने ना में सिर हिलाया, 2 महीने बाद पर भी ना में सिर हिलाया, लेकिन उन्होंने 3 महीने के सवाल पर हां कर दी. खास बात यह है कि 3 महीने में मेरा तबादला बांसवाड़ा से उदयपुर हो गया!
कोई सोच सकता है कि जिसके पास शंकर महाराज हों, वह तो करोड़पति होगा, लेकिन ऐसा नहीं था. शंकर महाराज के सेवक ने बताया कि वे अपनी ईच्छा से पैसा नहीं ले सकते, जिसके मन में जो होगा, उतना ही पैसा ले सकते हैं.
यह भी सच था. सेवक ने शंकर महाराज से पूछा- क्या इनसे सौ रुपए ले लें, शंकर महाराज ने ना कहा! पचास रुपए? फिर ना कहा! पांच रुपए? औैर शंकर महाराज ने हां कर दी! दिलचस्प बात यह है कि मैंने मन में पांच रुपए प्रदान करने का ही सोचा था.
शंकर महाराज जो बता रहे थे, वह अपने आप में आश्चर्यजनक तो था, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि वह इस बात का सबसे बड़ा सबूत भी था कि कहीं-ना-कहीं हम सभी की जीवन कहानी लिखी हुई है. अगर हमारे आसपास हमारी कहानी को पढ़ने वाला कोई है, हमारी कहानी को बताने वाला कोई मौजूद है, तो हमें हमारे जीवन की कहानी के बारे में पता चल सकता है, वरना पता नहीं चलेगा!
मैंने बाद में शंकर महाराज के साथ जो उनके सेवक हैं, उनसे बात की, वे आगरा के रहने वाले हैं और जाति से लौहार हैं. उन्होंने बताया कि जो शंकर महाराज होते हैं, उनकी खासियत होती है कि उनके जटा होती है. जब मैंने उनसे पूछा कि- क्या कोई ऐसी घटना याद है आपको, जो आपके लिए भी बहुत ही चौंकाने वाली रही हो, तो वे बोले कि- मैं एक बार भीलवाड़ा में शंकर महाराज से सवाल पूछ रहा था. मैंने पूछा कि यहां ऐसा कौन व्यक्ति है, जिसकी तकदीर उसको झटका देने वाली है, शंकर महाराज लोगों के बीच गए और फिर अंत में आकर वह मेरे पास ही खड़े हो गए और आश्चर्य.... दूसरे दिन सवेरे उन शंकर महाराज का निधन हो गया और मैं बेरोजगार हो गया. उसके बाद मैं फिर से आगरा चला गया. वहां पर दो साल तक काम किया. फिर एक पशु मेले में गया और वहां से मैं दूसरे शंकर महाराज को लेकर आया, जिनकी जटा थी. मेरा काम फिर से शुरू हुआ.
ईश्वर की तलाश में शंकर महाराज ने आकर यह तो साबित कर ही दिया कि दुनिया में जो कुछ घट रहा है, वह पूर्व निर्धारित है, एक फिल्म की कहानी की तरह. हमारी योग्यता यही है कि हम अपनी भूमिका अच्छी तरह से कैसे निभाते हैं?
लेकिन, ऐसा नहीं है कि सारे बैल सही बताते हैं. इसमें बैल की कोई गलती नहीं है, अपराध उन ठगों का है, जो कमाई के लिए किसी भी बैल को लेकर कमाई करने के लिए निकल पड़ते हैं!
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— Pradeep Laxminarayan Dwivedi (@Pradeep80032145) February 14, 2023
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