तू झूठी मैं मक्‍कार- यानी इमोशन्‍स का ओवरडोज

तू झूठी मैं मक्‍कार- यानी इमोशन्‍स का ओवरडोज

प्रेषित समय :10:26:48 AM / Fri, Mar 10th, 2023

न‍िर्देशक लव रंजन की फिल्‍मों में ‘एंटरटेनमेंट का जबरदस्‍त डोज’ होता है और ये क्रेड‍िट उनसे कोई नहीं ले सकता. ‘प्‍यार का पंचनामा’ सीरीज हो या फिर ‘सोनू के टीटू की स्‍वीटी’, लव रंजन ने कम बजट में फुल एंटरटेनमेंट द‍िया है. पर अपनी हाल‍िया र‍िलीज फिल्‍म ‘तू झूठी मैं मक्‍कार’ बनाने में लव रंजन 200 करोड़ के बजट में कुछ ऐसे फैले कि मनोरंजन दे नहीं पाए. लव रंजन इससे पहले अपनी फिल्‍मों में ‘लड़कियां ही सारी प्रॉब्‍लम की जड़ हैं’ और ‘प्यार से ऊपर दोस्‍ती (स‍िर्फ लड़कों की)’ जैसा आइड‍िया परोस चुके हैं और वो दर्शकों ने पचाया क्‍योंकि कॉमेडी के डोज के साथ मजेदार एंटरटेनमेंट म‍िला.  

कहानी- एक अमीर लड़का है, म‍िक्‍की उर्फ रोहन अरोड़ा (रणबीर कपूर) जो इतना अमीर है कि पैसे की कोई कमी नहीं. तीन-तीन शो रूम हैं तो मतलब प्‍यार में पैसा दुश्‍मन नहीं बन सकता. इसका एक दोस्‍त है डबास (अनुभव स‍िंह बस्‍सी), जो उससे भी ज्‍यादा अमीर है क्‍योंकि ये तो कुछ भी नहीं करता. अब ये दो अमीर लड़के म‍िलकर पैशन के ल‍िए ‘ब्रेक अप सर्विस’ चलाते हैं. कैसी सर्विस है, वो फिल्‍म में देखने को म‍िलेगी. डबास की शादी है और ये बेचलरैट मनाने अपने दोस्‍त म‍िक्‍की के साथ स्‍पेन जाता है, यहीं म‍िलती है उसे लड़की ट‍िन्‍नी (श्रद्धा कपूर). ट‍िन्‍नी को देखते ही म‍िक्‍की दीवाना हो जाता है। 

सबसे पहले कहानी की बात करें तो ये कहानी इस दौर की नहीं है. मतलब कुछ भी ऐसा नहीं है जो आपको लगे कि इस दौर में होता है. अब चाहे ब्रेकअप सर्विस हो या फिर म‍िक्‍की की फैमली, ये सब नकली लगता है. कुछ भी असली दुन‍िया का नहीं है. फिल्‍म का फर्स्‍ट हाफ स‍िर्फ बोर‍िंग नहीं है बल्‍कि ओवरएक्टिंग इतनी ज्‍यादा लगती है कि एक हद के बाद च‍िढ़ होने लगती है. इस मायने में फर्स्‍ट हाफ के बजाए सेकंड हाफ ज्‍यादा ठीक है क्‍योंकि कम से कम कुछ समझ तो आता है. सेकंड हाफ में पहुंचेंगे पर वहां पहुंचकर इमोशन्‍स का ओवरडोज म‍िल जाएगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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