प्रदीप द्विवेदी. इन दिनों की कोरोना निराशा के बीच जीवन की नई आशा जगाती है, फिल्म- अर्थात.
बॉलीवुड के सुपर एक्टर मनोज जोशी जैसे सीनियर कलाकार और रिदम जैसी नई एक्ट्रेस के बीच कमाल का संतुलन है, लिहाजा यह फिल्म कहीं से कमजोर नजर नहीं आती है.
इस फिल्म की सबसे खास बात है- कलाकारों की एक्टिंग तो शानदार है ही, आस्तिक, नास्तिक, परवाह, लापरवाही, गंभीरता, विश्वास, अविश्वास आदि भावों को उभारने वाले फेस एक्सप्रेशन लाजवाब हैं.
श्रीमद् भगवद्गीता के ज्ञान का प्रायोगिक उपयोग उल्लेखनीय है, तो फिल्म का अंत एक नई सोच देता है, नई दिशा देता है.
एफएनपी मीडिया और नरेंद्र मोहन फिल्म्स ने अपनी शार्ट फिल्म- अर्थात यूट्यूब पर रिलीज की है. इस फिल्म में जाने माने अभिनेता मनोज जोशी श्रीमद् भगवद्गीता के ज्ञान के प्रकाश में आगे बढ़ने वाले आस्तिक हैं, तो रिदम आज की नई, नास्तिक और बेपरवाह, पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाली बेटी हैं. फिल्म में दिनेश (मनोज जोशी) की पत्नी अस्पताल में भर्ती है, तो उसी अस्पताल में रिदम की मां भी भर्ती है, जिसकी तबीयत को लेकर वह बेचैन है.
दिनेश (मनोज जोशी) की पत्नी की मौत हो जाती है, लेकिन रिदम की मां बच जाती है, जिसे उसके पापा ने छोड़ कर दूसरी औरत के साथ घर बसा लिया था.
अर्थात.... भागवत प्रसाद द्वारा निर्देशित और विकास गुटगुटिया द्वारा निर्मित फिल्म है. इसमें मां के जीवन-मृत्यु संघर्ष के बीच उलझी बेटी की कहानी है, जहां आस्तिक और नास्तिक के बीच एक वैचारिक जंग भी हैं.
फिल्म में प्रवीणा देशपांडे और आलोक ने भी प्रभावी भूमिका निभाई है.
नई पीढ़ी की नास्तिक रिदम क्या जीवन में आस्था के नए आयाम देख पाती है? महसूस कर पाती है? इसे देखने के लिए अवश्य देखें- अर्थात!
https://www.youtube.com/watch?v=zODPFm2FmXs
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