हनुमान जन्मोत्सव: जान लें वजह और विधि!

हनुमान जन्मोत्सव: जान लें वजह और विधि!

प्रेषित समय :19:31:13 PM / Wed, Apr 5th, 2023

हनुमान जन्म महोत्सव हनुमान का जन्मोत्सव. बजरंगबली हनुमान भगवान शिव के 11 वें अवतार माने जाते हैं. बजरंगबली, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के सबसे बड़े भक्त भी हैं. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राम दरबार में केवल बजरंगबली को ही जगह दी गई है. 
मान्यता है कि भगवान हनुमान का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था. हालांकि इसके अलावा कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भी हनुमान जन्मोत्सव मनाई जाती है. इस वर्ष हनुमान 6 अप्रैल, 2023 गुरुवार के दिन को पड़ रही है.
हनुमान जन्म महोत्सव  2023 पूजा का शुभ मुहूर्त 
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त यानी पूर्णिमा तिथि 5 अप्रैल को सुबह 9 बजकर 19 मिनट से शुरू हो जाएगी जो कि 6 अप्रैल 10 बजकर 04 मिनट तक रहेगी.
साल में दो बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती? 
ऐसे में सवाल तो वाजिब उठता है कि, आखिर 1 साल में दो बार हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है? दरअसल असल में जन्मोत्सव एक बार ही मनाया जाता है लेकिन दूसरी बार हनुमान जयंती को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. बाल्मीकि रामायण के अनुसार बजरंगबली हनुमान का जन्मदिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मंगलवार के दिन हुआ था.
कहते हैं बजरंगबली के जन्म के समय स्वाति नक्षत्र था. ऐसे में हनुमान जी का असली जन्मोत्सव कार्तिक मास की हनुमान जयंती के दिन हुआ था.
अब सवाल उठता है कि फिर चैत्र माह में हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है? तो दरअसल जैसा कि हम सब जानते हैं कि हनुमानजी को अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां मिली हुई थी जिसके चलते वे बेहद ही बलशाली थे. इतने कि वह हवा में भी उड़ सकते थे. 
कहा जाता है कि, एक बार भूख लगने पर अपनी इन्हीं शक्तियों के दम पर भगवान सूर्य को उन्होंने फल समझकर निगल लिया था. यह वही समय था जब राहु भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने आया था लेकिन जब उन्होंने हनुमान जी को सूर्य निगलते हुए देखा तो राहु ने देवराज इंद्र से जाकर यह बात बता दी. 
इस बात से इंद्रदेव बेहद क्रोधित हुए और हनुमान जी को दंड देने के लिए उनपर वज्र का प्रहार किया. यह वज्र हनुमानजी की दाढ़ी में लगा जिससे वे बेहोश हो गए. पवन देव ने जब अपने बेटे को इस तरह से संकट में देखा तो उन्हें बड़ा क्रोध आया और उन्होंने पूरे ब्रह्मांड की प्राणवायु को रोक दिया. 
इससे सब हैरान परेशान हो गए और हर तरफ हाहाकार मच गया. इसके बाद तब ब्रह्माजी पवन देव के पास गए और हनुमान भगवान को जीवनदान दिया. यह दिन चैत्र मास की पूर्णिमा था. चूंकि इस दिन बजरंगबली को नया जीवन मिला था ऐसे में यह दिन उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा.
हनुमान नाम का अर्थ 
दरअसल हनु संस्कृत में दाढ़ी को कहा जाता है. ऐसे में हनुमान शब्द का शाब्दिक अर्थ हुआ बिगड़ा हुआ मुंह. माना जाता है कि देवराज इंद्र के वज्र के प्रहार से दाढ़ी तिरछी होने के कारण ही भगवान बजरंगबली का एक नाम हनुमान पड़ा.
हनुमान जयंती महत्व 
बजरंगबली अपने भक्तों के कष्ट को पल भर में दूर करने के लिए जाने जाते हैं. इसके अलावा प्रेत बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए भी भक्त अपने बजरंगबली को याद करते हैं. ऐसे में चैत्र के महीने के दौरान पूर्णिमा के दिन जब उनकी जयंती मनाई जाती है इस दौरान आप उन्हें बूंदी के लड्डू और पान का भोग लगा सकते हैं. ऐसा करने से आप पर हनुमान भगवान का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा. 
इसके अलावा इस दिन महाभारत के श्लोक और रामायण पढ़ने का भी विधान है. कहते हैं ऐसा करने से भगवान हनुमान के साथ-साथ मर्यादा पुरुषोत्तम राम का भी आशीर्वाद आपके जीवन में पड़ने लगता है.
हनुमान जयंती के अलग-अलग नाम 
हनुमान जयंती देश के अलग-अलग कोनों में अलग-अलग नामों से मनाई जाती है. जैसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसे हनुमान जयंती कहते हैं. वहां यह उत्सव चैत्र पूर्णिमा से प्रारंभ होकर 41 दिनों तक चलता रहता है और फिर वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष के दसवें दिन समाप्त होता है. 
वहीं तमिलनाडु में इसे हनुमत जयंती कहा जाता है और मार्गशीर्ष अमावस्या के दौरान मनाया जाता है. कर्नाटक में हनुमान जयंती को हनुमान व्रतम के नाम से जाना जाता है.
हनुमान जयंती सही पूजन विधि 
इस दिन एक लाल साफ कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान हनुमान की मूर्ति रख दें. 
मूर्ति के माथे पर सिंदूर लगाएं. 
धूपबत्ती और मिट्टी के दीप जलाएं. 
इसके बाद भगवान की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं. 
मूर्ति पर थोड़ा सा जल डालें. 
इसके बाद हाथ में जल लेकर हनुमान भगवान की प्रार्थना करें. 
प्रार्थना के बाद भगवान को फूल, सुपारी, चावल और गुड़ अर्पित करें. 
इस दिन की पूजा में भगवान को मिठाई, केला अर्पित करें. 
पूजा के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जप करें. 
अंत में आरती करें और अपनी मनोकामना भगवान से अवश्य कहें. 
हनुमान जयंती पर यह उपाय बचाएंगे शनि के प्रकोप से 
इस दिन एक कटोरी में तेल लेकर उसमें काली उड़द के 14 दाने डाल दें. अब इस कटोरी में रखे तेल में अपनी छवि देखें. इसके बाद यह तेल भगवान हनुमान को अर्पित कर दें. कहा जाता है ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा इस तेल में समा जाती हैं और जब हम इसे संकटमोचन पर चढ़ा देते हैं तो हमारी नकारात्मकता नष्ट हो जाती है और शनि के दोष दूर होने लगते हैं.
हनुमान जयंती के उपाय 
कहा जाता है भगवान हनुमान एक ऐसे देवता हैं जिन्हें प्रसन्न करने के लिए ज्यादा कुछ करने की आवश्यकता नहीं होती है. ऐसे में कुछ ऐसे भी सरल उपाय बताए गए हैं जिन्हें आप हनुमान जयंती के दिन कर के बजरंगबली के साथ प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद भी अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं. क्या हैं वो उपाय आइये जान लेते हैं. 
हनुमान चालीसा का पाठ करें. 
श्री राम नाम का कीर्तन करें.
सुंदरकांड का पाठ करें.

हनुमान जयंती 2023 मंत्र 

आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर. त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात.
• अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् .
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।।
अर्थात: “अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत के समान कांतियुक्त शरीर वाले, दैत्यरूपी वन के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथ जी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान जी को मैं प्रणाम करता हूं।”
• मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् .
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।
अर्थात: हे मनोहर, वायुवेग से चलने वाले, इन्द्रियों को वश में करने वाले, बुद्धिमानो में सर्वश्रेष्ठ. हे वायु पुत्र, हे वानर सेनापति, श्री रामदूत हम सभी आपके शरणागत है॥

भोज दत्त शर्मा , वैदिक ज्योतिष 
Astrology By Bhoj Sharma

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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