अमृतसर. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने एनसीईआरटी की तरफ से प्रिंट की गई किताबों में सिख इतिहास के बारे में गलत जानकारियां देने पर एतराज जताया है. एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि एनसीईआरटी सिखों के साथ संबंधित ऐतिहासिक वर्णन को गलत अर्थों के साथ पेश कर रही है.
प्रधान धामी ने कहा कि हाल ही में 12वीं कक्षा की किताब स्वतंत्र भारत में राजनीति के अंदर श्री आनंदपुर साहिब के मते के बारे में गलत जानकारी दर्ज की गई है. जिसके साथ सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंची है. उन्होंने कहा कि श्री आनंदपुर साहिब के मते की व्याख्या करते हुए सिखों को अलगाववादी के रूप में प्रस्तुत करना कतई उचित नहीं है, इसलिए एनसीईआरटी को इसे तत्काल हटा लेना चाहिए.
एडवोकेट धामी ने कहा कि इसके साथ ही 12वीं की किताब से कुछ जानकारियां हटाते हुए कुछ नई जानकारी जोड़ते हुए साम्प्रदायिक कार्रवाई की गई है. यह दुख की बात है कि मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा गलत बदलाव किए जा रहे हैं. विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के पाठ्यक्रम को समाप्त किया जा रहा है और मनमाना पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है.
श्री आनंदपुर साहिब मते में नहीं कोई गलत बात
एडवोकेट धामी ने कहा कि श्री आनंदपुर साहिब का मता एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जिसमें कुछ भी गलत नहीं है. इसमें राज्यों के अधिकारों की बात की गई है और दुख की बात है कि स्थिति आज भी वैसी ही है. राज्यों के अधिकारों और हितों की अनदेखी की जा रही है. प्रधान ने कहा कि ऐसा लगता है कि हिंदू राष्ट्र की भाषा बोलने वालों को जान-बूझकर फायदा पहुंचाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर अल्पसंख्यकों के मसले सुलझाने की बजाय उनके बारे में गलत धारणाएं बनाकर ब्रिटिश विरोधी भावना पैदा की जा रही हैं. धामी ने कहा कि पाठ्यक्रम में दिखाई देने वाली साम्प्रदायिकता की भावना देश के हितों के अनुरूप नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-अमृतसर जा रही शान-ए-पंजाब ट्रेन के 8 डिब्बे खुलकर हुए अलग
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