WCR मुख्यालय की जिद के चलते रेलवे को लग रहा लाखों का चूना, सालों से खाली पड़े आवासों पर कुंडली मारकर बैठा, नहीं कर रहा आवंटित

WCR मुख्यालय की जिद के चलते रेलवे को लग रहा लाखों का चूना, सालों से खाली पड़े आवासों पर कुंडली मारकर बैठा, नहीं कर रहा आवंटित

प्रेषित समय :17:27:37 PM / Mon, Apr 10th, 2023

जबलपुर. पश्चिम मध्य रेलवे मुख्यालय प्रशासन की एक छोटी सी जिद के चलते रेलवे को लाखों रुपयों का चूना हर माह लग रहा है. रेलवे को राजस्व की यह चपत उसके (पमरे) द्वारा रिक्त पड़े उसके पूल के आवासों को आवंटित नहीं करने के कारण हो रही है. आश्चर्य की बात तो यह है कि सिर्फ रेल मंडल के जबलपुर में ही 5 सौ से ज्यादा आवासों के आवंटन के लिए रेल कर्मचारियों की लंबी वेटिंग है, वहीं दूसरी तरफ पमरे प्रशासन के पास भी काफी क्वार्टर कई सालों से बिना आवंटित किये हुए पड़े हैं, उन्हें भी वह एलाट नहीं होने दे रहा है.

बताया जाता है कि सिर्फ पमरे के जबलपुर में ही लगभग 5 हजार स्टाफ हैं और लगभग 1750 विभिन्न टाइप (श्रेणी) के आवास हैं. यह आवास कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए बनाये गये हैं. रेल मंडल के जबलपुर में ही पिछले काफी समय से 5 सौ से ज्यादा वेटिंग आवास आवंटन के लिए चल रही है. इस  बात की जानकारी मंडल रेल प्रशासन के साथ-साथ पमरे मुख्यालय के संबंधित अधिकारियों को भी है, किंतु वेटिंग कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं, जिससे कर्मचारी परेशान हैं.

पमरे मुख्यालय पूल के कई आवास वर्षों से बिना एलाट के खाली

सूत्रों के मुताबिक एक तरफ तो मंडल के कर्मचारी क्वार्टर पाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, वे अधिकारियों के साथ-साथ श्रमिक संगठनों के नेताओं की सिफारिश भी करवा रहे हैं, लेकिन एक अनार, सौ बीमार वाली कहावत यहां  पर चरितार्थ हो रही है. आश्चर्य की बात तो यह है कि पमरे मुख्यालय पूल के काफी क्वार्टर रिक्त हैं. कई आवास तो 2019 से लेकर आज की तारीख तक खाली पड़े हैं, उन्हें एलाट नहीं किया जा रहा है. बताया जाता है कि मंडल प्रशासन इन रिक्त पड़े आवासों को आवंटित करने का प्रयास करता है तो कुछ पमरे मुख्यालय के कुछ चतुर अधिकारी इन आवासों को कागजों पर फर्जी एलाटमेंट दर्शा रहे हैं.

रेलवे को लग रही हर माह लाखों की चपत, देना पड़ रहा एचआरए

इन खाली आवासों को पिछले कई साल से एलाट नहीं करने के कारण रेलवे को आर्थिक चपत लग रही है. हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) का भुगतान कर्मचारियों को करना पड़ रहा है. यदि इन कर्मचारियों को पमरे मुख्यालय द्वारा अपने कब्जे में लिया रेल आवास आवंटित हो जाता तो रेलवे को एचआरए का भुगतान नहीं करना पड़ता, दूसरा कर्मचारियों से इन आवासों का रेंट भी मिलता.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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