धार. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गुजरात के बड़ौदा स्थित एक निजी अस्पताल में उपचार के दौरान चिकित्सकों द्वारा 40 वर्षीय एक युवक को मृत घोषित कर उसका वहीं अंतिम संस्कार कर दिया, किंतु ठीक दो साल बाद अचानक मृतक के जीवित घर लौटने पर स्वजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. हालांकि इस दौरान वह किसी गिरोह के द्वारा बंधक बनाकर प्रताडि़त किए जाने की बात कह रहा है. जैसे ही मौका मिला वह वहां बदमाशों के चंगुल से भागकर शुक्रवार रात उसके मामा के घर अपने ही मध्य प्रदेश के धार जिले के सरदारपुर तहसील में पहुंच गया. वहां पुलिस को सूचना दी. अब उसे कानवन थाने लाया जा रहा है.
कोविड टीम ने किया था अंतिम संस्कार
ग्राम कड़ोदकला निवासी कमलेश पुत्र गेंदालाल पाटीदार को साल 2021 में कोरोना हो गया था. कोरोना के उपचार के लिए उसे बड़ौदा के निजी अस्पताल ले जाया गया. जहां उपचार के दौरान डाक्टरों ने कमलेश को मृत घोषित कर दिया. अस्पताल की सूचना पर स्वजन अस्पताल पहुंचे, किंतु कोरोना पॉजिटिव होने से स्वजनों को मृतक का शव दूर से ही दिखाया था. पॉलीथिन में लिपटी देह को पुष्टी के साथ पहचानना संभव नहीं था. किंतु चिकित्सकों के कहने पर स्वजनों ने उसे कमलेश ही मान लिया. संक्रमित होने की मृत्यु होने पर शव स्वजनों को ना देते हुए बड़ौदा में ही कोविड टीम ने अंतिम संस्कार कर दिया.
विधवा का जीवन बिता रही थी पत्नी
अस्पताल प्रबंधन के रिकार्ड के अनुसार मृत मानकर स्वजनों ने घर पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए शोक निवारण कार्यक्रम की रस्म का आयोजन भी कर दिया था. बेटे के निधन से पिता गेंदालाल गहरे सदमे में पहुंच गए थे, जो आज तक भी उबर नहीं पाए. वहीं पत्नी भी दो वर्ष से विधवा का जीवन व्यतीत कर रही थी, किंतु जैसे ही कमलेश के जीवित होने की सूचना मिली तो उनके गमगीन चेहरों पर खुशियों की रौनक लौट गई.
स्वजनों को देखकर भावुक हुआ युवक
शनिवार सुबह बेटे कमलेश के जीवित होने की सूचना गेंदालाल के ससुराल वड़वेली (सरदारपुर) मिली तो पिता को यकायक विश्वास नहीं हुआ. तत्काल वीडियो काल करके कमलेश के होने की पुष्टी की. कमलेश भी अपने पिता व स्वजनों को देखकर भावुक हो गया. इसके बाद सभी स्वजन बड़वेली पहुंचे. मेल मुलाकात के बाद उसके जीवित होने की पुष्टि के लिए शासकीय प्रक्रिया पूर्ण करने हेतु सरदारपुर थाने पर सूचना दी गई, किंतु युवक कड़ोदकला निवासी है, जो कानवन थाने के अंतर्गत आता है, इसलिए सरदारपुर पुलिस ने उसे संबंधित थाने पर ले जाने की सलाह दी.
कमलेश ने स्वजनों को यह जानकारी दी
कमलेश ने कोरोना में ठीक होने के बाद अहमदाबाद में किसी गिरोह के चंगुल में होने की जानकारी दी. उसने बताया कि उसे अहमदाबाद में पांच से सात युवकों द्वारा बंधक बनाकर रखा गया था और उसे एक दिन छोड़कर नशीली दवाओं का इंजेक्शन दिया जाता था, जिससे वह हर समय बेसुध ही रहता था. शुक्रवार को चार पहिया वाहन से अहमदाबाद से कहीं और ले जा रहे थे. इसी दरमियान गिरोह के लोग एक होटल पर स्वल्पाहार के लिए रुके. इसी बीच मौका पाकर वह अहमदाबाद से इंदौर आ रही यात्री बस को देखकर चार पहिया वाहन से उतरकर बस में बैठ गया. देर रात्रि में सरदारपुर उतरा एवं वहां उपस्थित लोगों को अपने मामा के घर वड़वाले पहुंचने की बात कही. तब लोगों के सहयोग से वह वड़वेली पहुंचा था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एक व्यक्ति 10 बार भी हो सकता है कोरोना पाजिटिव, वैक्सीन फायदेमंद है फिर भी..
खतरनाक होता जा रहा कोरोना, देश में 7 महीने बाद फिर एक्टिव केस 40,000 के पार
हिमाचल प्रदेश: कोरोना वायरस का कहर, टूटा रिकॉर्ड, हर 7वां शख्स संक्रमित, 6 दिन में 8 मौतें
देश में कोरोना के 5880 नए केस, पिछले दिन से 10% अधिक, हर 100 में से 7 मरीज पॉजिटिव मिल रहे
Leave a Reply