सुको ने यूट्यूबर मनीष कश्यप को लगाई फटकार, कहा- एनएसए पर राहत और जमानत के लिए हाईकोर्ट जाइए

सुको ने यूट्यूबर मनीष कश्यप को लगाई फटकार, कहा- एनएसए पर राहत और जमानत के लिए हाईकोर्ट जाइए

प्रेषित समय :16:38:46 PM / Mon, May 8th, 2023

नई दिल्ली. यूटयूबर मनीष कश्यप को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी एनएसए के तहत मामला दर्ज किए जाने को लेकर मनीष को राहत नहीं दी है. इसके साथ ही एफआईआर को एक साथ कराने की याचिका को भी खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों के फर्जी वीडियो प्रसारित करने के आरोपी मनीष कश्यप की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया.

गौरतलब है, बिहार के यूट्यूबर मनीष कश्यप पर तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमले के आरोप वाले फर्जी वीडियो कथित रूप से जारी करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगाया गया है. कश्यप इस समय तमिलनाडु की मदुरै जेल में बंद है. उसके खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज कराई गई हैं जिनमें तीन बिहार में दर्ज हुई हैं.

प्राथमिकियां को मिलाने की याचिका खारिज

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने कश्यप की याचिका पर सोमवार को सुनवाई की. इस दौरान कश्यप को रासुका लगाए जाने के फैसले को किसी उचित न्यायिक मंच पर चुनौती देने की स्वतंत्रता दी. वहीं, उसके खिलाफ सभी 19 प्राथमिकियों को एक साथ करने और उन्हें बिहार हस्तांतरित करने का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया.

ये हैं मामले, जिनमें सुनवाई हुई

बता दें, यूटयूबर मनीष कश्यप ने तमिलनाडु पुलिस की ओर से लगाए गए कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हटवाने, बिहार व तमिलनाडु में दर्ज अलग-अलग मामलों को एक जगह ट्रांसफर करने और जमानत देने के लिए गुहार लगाई थी.

तमिलनाडु एक शांत राज्य

उसकी ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह की दलीलों को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि हम याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं. तमिलनाडु एक शांत राज्य है. आपने वहां अशांति फैलाने की कोशिश की. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और बिहार में दर्ज मामलों एक साथ जोडऩे से मना किया. जमानत और तमिलनाडु सरकार की तरफ से लगाया गया NSA हटाने पर भी आदेश नहीं दिया. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राहत के लिए हाई कोर्ट जाइए. इससे पहले शीर्ष अदालत ने कश्यप के खिलाफ प्राथमिकियों को मिलाने और गृह राज्य में हस्तांतरित करने की उसकी याचिका पर न्यायालय ने 11 अप्रैल को केंद्र, तमिलनाडु और बिहार की सरकारों को नोटिस जारी किया था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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