#Jaipur जयपुर पंचांग- 12 मई 2023, शुक्रवार

#Jaipur जयपुर पंचांग- 12 मई 2023, शुक्रवार

प्रेषित समय :22:06:36 PM / Thu, May 11th, 2023

* जयपुर शुभ मुहूर्त अभिजीत- 11:57 से 12:50
* जयपुर शुभ सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:41 से 13:03
* जयपुर राहुकाल- 10:43 से 12:23

जयपुर चौघड़िया- 12 मई 2023, शुक्रवार
दिन का चौघड़िया
चर - 05:41 से 07:22
लाभ - 07:22 से 09:02
अमृत - 09:02 से 10:43
काल - 10:43 से 12:23
शुभ - 12:23 से 14:04
रोग - 14:04 से 15:44
उद्वेग - 15:44 से 17:25
चर - 17:25 से 19:06
रात्रि का चौघड़िया
रोग - 19:06 से 20:25
काल - 20:25 से 21:44
लाभ - 21:44 से 23:04
उद्वेग - 23:04 से 00:23
शुभ - 00:23 से 01:42
अमृत - 01:42 से 03:02
चर - 03:02 से 04:21
रोग - 04:21 से 05:41
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की!
* मासिक कृष्ण जन्माष्टमी.... 12-13 मई 2023, शुक्रवार
* मासिक कृष्ण जन्मोत्सव- 00ः07 से 00ः50, 13 मई 2023
* कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ- 09ः06, 12 मई 2023
* कृष्ण अष्टमी समाप्त- 06ः50, 13 मई 2023

श्रीविष्णु के विविध स्वरूपों की नामावली का प्रतिदिन प्रात: स्मरण करने से कामयाबी के रास्ते खुल जाते हैं...
अच्युतं, केशवं, राम, नारायणं, कृष्ण, दामोदरं, वासुदेवं हरे.
श्रीधरं, माधवं, गोपिका वल्लभं, जानकी नायकं श्री रामचन्द्रं भजे।।

https://www.youtube.com/watch?v=dX89wA4mHkA
॥ आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला.
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला.
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली.
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं.
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा.
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू.
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
* कालाष्टमी- 12 मई 2023, शुक्रवार
* कृष्ण अष्टमी प्रारम्भ- 09:06, 12 मई 2023
* कृष्ण अष्टमी समाप्त- 06:50, 13 मई 2023

कालभैरव अष्टमी पर भैरव के दर्शन-पूजन मात्र से अशुभ कर्मों से मुक्ति  मिलती है, क्रूर ग्रहों के कुप्रभाव से छुटकारा मिलता है!
॥ श्री भैरव आरती ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करूँ.
कृपा तुम्हारी चाहिए,मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ.
मैं चरण छुता आपके,अर्जी मेरी सुन लीजिये॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
मैं हूँ मति का मन्द,मेरी कुछ मदद तो कीजिये.
महिमा तुम्हारी बहुत,कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
करते सवारी स्वान की,चारों दिशा में राज्य है.
जितने भूत और प्रेत,सबके आप ही सरताज हैं॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
हथियार हैं जो आपके,उसका क्या वर्णन करूँ.
माता जी के सामने तुम,नृत्य भी करते सदा॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
गा गा के गुण अनुवाद से,उनको रिझाते हो सदा.
एक सांकली है आपकी,तारीफ उसकी क्या करूँ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
बहुत सी महिमा तुम्हारी,मेंहदीपुर सरनाम है.
आते जगत के यात्री,बजरंग का स्थान है॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
श्री प्रेतराज सरकार के,मैं शीश चरणों में धरूँ.
निशदिन तुम्हारे खेल से,माताजी खुश रहें॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
सिर पर तुम्हारे हाथ रख कर,आशीर्वाद देती रहें.
कर जोड़ कर विनती करूँ,अरु शीश चरणों में धरूँ॥
सुनो जी भैरव लाड़िले॥
जयपुर पंचांग- 12 मई 2023
* कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, पञ्चक, सर्वार्थ सिद्धि योग
* शक संवत 1945, विक्रम संवत 2080, मास- पूर्णिमांत ज्येष्ठ, मास- अमांत वैशाख
* तिथि सप्तमी- 09:08:44 तक, नक्षत्र श्रवण- 13:03:48 तक, करण बव- 09:08:44 तक, बालव- 19:59:57 तक, पक्ष कृष्ण, योग शुक्ल- 12:16:31 तक, वार शुक्रवार
* दिशाशूल- पश्चिम
* ताराबल- अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद
* चन्द्र राशि मकर
* उत्तम चन्द्रबल- मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन
* मिथुन राशि में जन्में लोगो के लिए अष्टम चन्द्र
  * चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है! 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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