जबलपुर. रेल मंत्रालय ने भारत सरकार के वोकल फॉर लोकल विजन को बढ़ावा देने, स्थानीय/स्वदेशी उत्पादों के लिए एक बाजार प्रदान करने तथा समाज के वंचितों वर्गो के लिए अतिरिक्त आय के अवसर जुटाने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे ने वन स्टेशन वन प्रोडक्ट (ओएसओपी) योजना शुरू की है. स पायलट योजना के तहत मध्य प्रदेश के 36 रेलवे स्टेशनों को एक स्टेशन एक उत्पाद बिक्री केन्द्र के रूप में शामिल किया गया है.
इस योजना के तहत, रेलवे स्टेशनों पर ओएसओपी केन्द्रों को स्वदेशी/स्थानीय उत्पादों को प्रदर्शित करने, बेचने और उच्च दृश्यता प्रदान करने के लिए आवंटित किया जाता है. इसकी पायलट योजना 25.03.2022 को शुरू की गई थी और 01.05.2023 के अनुसार पूरे देश के 21 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 785 ओएसओपी केन्द्रों के साथ 728 स्टेशनों को शामिल किया गया है. इन ओएसओपी स्टालों को एकरूपता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान के माध्यम से डिजाइन किया गया है. इस पायलट योजना के तहत मध्य प्रदेश के 36 रेलवे स्टेशनों को एक स्टेशन एक उत्पाद बिक्री केन्द्र के रूप में शामिल किया गया है.
वन स्टेशन वन प्रोडक्ट स्थान विशेष के लिए विशिष्ट हैं और इसमें स्वदेशी जनजातियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां, स्थानीय बुनकरों द्वारा हथकरघा, विश्व प्रसिद्ध लकड़ी की नक्काशी जैसे हस्तशिल्प, कपड़े पर चिकनकारी और जरी-जरदोजी का काम या मसाले चाय, कॉफी और अन्य संसाधित/अर्द्ध संसाधित खाद्य पदार्थ/उत्पाद जिनका देश में उत्पादन हुआ है, शामिल हैं. उदाहरण के लिए, पूर्वोत्तर भारत में असमिया पीठा, पारंपरिक राजबंशी पोशाक, झापी, स्थानीय कपड़ा, जूट उत्पाद (टोपी, गमछा, गुडिय़ा) ओएसओपी स्टालों पर उपलब्ध हैं और जम्मू-कश्मीर क्षेत्र, कश्मीरी गिरदा, कश्मीरी कहवा और सूखे मेवे प्रसिद्ध हैं, दक्षिण भारत में काजू उत्पाद, मसाले, चिन्नालापट्टी हथकरघा साडिय़ाँ यात्रियों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं, देश के पश्चिमी भाग में कढ़ाई और जऱी जऱदोज़ी, नारियल हलवा, स्थानीय रूप से उगाए गए फल, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, बंधनी प्रसिद्ध हैं.
मध्य प्रदेश में वन स्टेशन वन प्रोडक्ट के तहत अनूपपुर, शहडोल, बैतूल, मुलताई, आमला, पांढुर्ना, बुरहानपुर, खंडवा, नागदा, रतलाम, देवास, उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर, भिंड, गुना, भोपाल, रानी कमलापति, नर्मदापुरम, इटारसी, पिपरिया, गाडरवारा, नरसिंहपुर, जबलपुर, कटनी, कटनी मुड़वारा, दमोह, सागर, मैहर, सतना, रीवा, सिंगरौली, डबरा, महोबा, छतरपुर, खजुराहो के साथ 36 स्टेशनों को शामिल किया गया है.
अभी तक पमरे के क्षेत्राधिकार में मध्यप्रदेश के अंतर्गत आने वाले रेलवे स्टेशनों पर एक स्टेशन एक उत्पाद योजना के अतंर्गत जबलपुर स्टेशन पर जंगल फ्रेश प्रोडक्ट एवं हाथ से बने बैग के उत्पाद, कटनी स्टेशन पर पत्थर की नक्काशी (स्टोन कर्विंग) एवं बांस के खिलौने, पिपरिया स्टेशन पर हैंडीक्राफ्ट एवं लोकल लेदर से बने उत्पाद, सतना स्टेशन पर पापड़, अचार, मुरब्बा, आंवला, कैंडी एवं खाद्य पदार्थ खुरचन, रीवा स्टेशन पर स्थानीय कला सुपाड़ी से बनी कलाकृतियां एवं खाद्य पदार्थ खुरचन, सागर स्टेशन पर पूजन सामग्री, जुट प्रोडक्ट एवं अगरबत्ती, दमोह स्टेशन पर हर्बल प्रोडक्टस एवं स्थानीय खिलौने, कटनी मुड़वारा स्टेशन पर टॉय एंड डॉल (खिलौने और गुडिय़ा), नरसिंहपुर स्टेशन पर हैंडीक्राफ्ट्स, मैहर स्टेशन पर महिलाओं के पारम्परिक सामान और आभूषण (वूमेंस ट्रेडिशनल एसेसरीज एंड ज्वैलरी एवं खाद्य पदार्थ खुरचन, गाडऱवारा स्टेशन पर रेशम के धागों से बने आभूषण (ज्वेलरी मेड फॉर सिल्क थ्रेड), हरदा स्टेशन पर बांस उत्पाद, इटारसी स्टेशन पर लकड़ी के खिलौने एवं जुट के सामान, नर्मदापुरम स्टेशन पर स्मारिका एवं बांस के खिलौने, रानी कमलापति स्टेशन पर हथकरघा और साड़ी, भोपाल स्टेशन पर जरी जरदोजी शिल्प कला, विदिशा स्टेशन पर सांची का स्मृति चिन्ह एवं आयरन क्राफ्ट, गंजबासौदा स्टेशन पर फ्लैगटोन टाइल्सएवं जरी और जुट उत्पाद, बीना स्टेशन पर चंदेरी हैंडलूम एवं जुट उत्पाद, अशोकनगर स्टेशन पर चंदेरी उत्पाद, गुना स्टेशन पर मसाला और हथकरघा स्टाल उपलब्ध कराई जा चुकी है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों का भरा खजाना, संपत्ति कर की वसूली में 12 प्रतिशत का इजाफा
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