चंद्रयान-3 की 14 जुलाई को लांचिग, 23-24 अगस्त को लैंड हो सकता है चांद की सतह पर..!

चंद्रयान-3 की 14 जुलाई को लांचिग, 23-24 अगस्त को लैंड हो सकता है चांद की सतह पर..!

प्रेषित समय :21:43:53 PM / Thu, Jul 6th, 2023

श्रीहरिकोर्ट. आंध्रप्रदेश के श्री हरिकोर्ट स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से स्पेसशिप चंद्रयान-3 की लांचित 14 जुलाई को दोपहर 2.35 बजे की जाएगी. इस आशय की जानकारी इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान 23 या फिर 24 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैडिंग के प्रयास करेगा. यान पूरी तरह से तैयार है, इसे एक दिन पहले ही लान्चिंग व्हीकल एलवीएम-थ्री में फिट किया गया है. इस पूरे मिशन का बजट 651 करोड़ रुपए का है.

सूत्रों की माने तो यदि चंद्रयान-3 का लैंडर चांद पर उतरने में सफल होता है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा. इससे पहले अमेरिका, रूस व चीन चंद्रमा पर अपने स्पेस-क्राफ्ट उतार चुके हैं. इस मिशन में भारत चांद की धरती पर एक लैंडर उतारेगा. इस लैंडर में एक रोवर भी है जो चंद्रमा की धरती पर घूमेगा व वहां कुछ प्रयोग करेगा. लैंडर चांद पर एक लूनार दिन तक रहेगा. एक लूनार दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि चंद्रयान-3 के लैंडर की चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए जरूरी है कि वहां सूरज निकला हो. क्योंकि लैंडर के लिए सूर्य की रोशनी बहुत जरुरी है.  चांद पर 14-15 दिन ही सूरज निकलता है. और बाकी 14.15 दिन सूरज नहीं निकलता है. गौरतलब है कि इसके पहले चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था. 14 अगस्त को लैंडर व रोवर ने पृथ्वी की कक्षा छोड़ी थी. 6 दिन बाद इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. 6 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हुआ था. मिशन के अनुसार विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर  7 सितंबर को भारतीय समयानुसार रात 1 से 2 बजे के बीच लैंड करना था. यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर था तभी इसका इसरो से संपर्क टूट गया था. इसके बाद से ही भारत चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी कर रहा है. चंद्रयान-3 चंद्रमा पर पता करेगा कि वहां का तापमान कैसा है, सतह पर भूकंप कैसे व कितने आते हैं. वहां प्लाज्मा एनवायरन्मेंट कैसा है. वहां की मिट्टी में कौन से तत्व हैं. गौरतलब है कि चंद्रयान-2 ने 48 दिनों में 30844 लाख किलोमीटर की यात्रा की थी. इस मिशन पर 978 करोड़ रुपए का खर्च आया था, इसके विक्रम लैंडर से भले निराशा मिली हो इसके बाद भी मिशन नाकाम नहीं रहा. क्योंकि चंद्रयान टू का आर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में अपना काम कर रहा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

चंद्रयान-2 की बड़ी कामयाबी, चांद पर पानी के अणुओं की मौजूदगी का पता लगाया

चंद्रमा की गति दूसरे ग्रहों का प्रभाव

चंद्रमा से आज टकराएगा ‘चीनी’ कचरा, बन जाएगा 66 फुट गहरा गड्ढा