कभी आपने देखा होगा हम सुबह-सुबह बिना किसी वजह के खुश होकर उठते हैं और कभी बेवजह उदास रहते हैं, कभी ये भी होता है की दिन तो खुश होकर शुरू करते हैं लेकिन शाम होते होते बिन बात उदास हो जाते कभी बिल्कुल इसका उलट हो जाता है.
*क्या आपने इसका ज्योतिषीय कारण जानने की कोशिश की? इसका कारण है गोचर (आपकी वर्तमान की कुंडली) में चंद्रमा की स्थिति, नौ ग्रहों में चंद्रमा की गति सबसे तेज होती है एक राशि में चन्द्रमा सवा दो दिन यानी लगभग 54 घंटे के करीब रहता है, जैसा की आप जानते ही होंगे चन्द्रमा मन का कारक होता है और मन के लिए यक्ष के पूछने पर धर्मराज युधिष्ठिर ने भी कहा था सृष्टि में सबसे तेज गति मन की होती है अर्थात सबसे चंचल मन होता है.*
इसी चंचलता के कारण चंद्रमा बहुत जल्दी दूसरे ग्रहों के प्रभाव में आ जाता है जिस वजह से जातक को जीवन में कई बार अस्थिरता झेलनी पड़ती है लेकिन शुभ ग्रह के साथ होने पर अच्छे फल भी मिलते हैं .
*गोचर में इसी कारण चंद्रमा हर छः या सात दिन में किसी अच्छे/बुरे ग्रह के प्रभाव में आ जाता है और व्यक्ति को खुद भी अपने व्यवहार में आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिलते हैं, ठीक इसी तरह जन्मकुंडली में भी चंद्रमा हर ग्रह के साथ अलग युति बनाता है और जीवन को प्रभावित करता है,
उदाहरण के तौर पर
*सूर्य-चंद्र* साथ होने पर अमावस्या या उसके आस-पास जन्म होता है, जैसा की आपको पता ही है सूर्य गर्म और चंद्रमा ठंडा ग्रह है तो दोनों जब साथ में मिलते हैं तो जातक का व्यवहार भी कभी ठंडा कभी गर्म हो जाता है, जीवन में निर्णयों को लेकर बहुत असमंजस की स्थिति होती है और साथियों संग तालमेल में भी कमी रहती है.
*चंद्रमा और मंगल* की युति जातक को गुस्सैल (शार्ट टेंपर्ड नहीं) बनाती है और कई बार दूसरे ग्रहों की स्थिति ठीक ना होने पर ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है.
*चंद्र और बुध* बुध बुद्धि का कारक है चंद्रमा मन का कारक है बुद्धि और मन का संयोग जातक को जीवन में हमेशा ही डबल माइंड रखता है, उदाहरण के लिए अगर जातक की कार/बाइक खरीदने जा रहा है तो वह यह सोचकर कंफ्यूज रहता है कि उसे अच्छी माइलेज वाली कार/बाइक खरीदनी चाहिए या उसे अच्छी दिखने वाली खरीदनी चाहिए ? क्योंकि बुद्धि कहती है अच्छा माइलेज होना चाहिए मन कहता है कार/बाइक सुंदर होनी चाहिए.
*गुरु और चंद्रमा* की युति गजकेसरी योग का निर्माण करती है यह एक उत्तम राजयोग है, जिस भी दिशा में जातक प्रयास करता है सफलता और सम्मान पाता है, लेकिन अगर दूसरे ग्रहों की स्थिति अच्छी नहीं है तो ऐसा जातक अपने ज्ञान पर घमंड करने वाला भी हो सकता है और कई बार इस युति की वजह से जातक डिप्रेशन में भी आ जाता है, डिप्रेशन का कारण इस तरह समझिए जातक को मालूम होता है वो ज्ञानवान है और वो होता भी है, लेकिन जातक की कुंडली में दूसरे ग्रहों की स्थिति ठीक ना होने के कारण उसे वो सम्मान या पद नहीं मिल पाता जो वो चाहता है, ऐसी स्थिति में वो खुद की नजरों से गिर जाता है, खुद को तकलीफें देने लगता है और कभी- कभी अवसाद में भी चला जाता है.
*चंद्रमा और शुक्र* की युति जातक को कला प्रेमी, संगीत प्रेमी आदि बनाती है लेकिन शुक्र सुख का कारक है तो ऐसा व्यक्ति सुख की चाह रखने वाला आलसी भी हो सकता है, साथ ही चन्द्रमा माता का भी कारक होता है और शुक्र जीवनसाथी का कारक होता है दोनों ही जातक पर अपना अधिकार समझते हैं ऐसी स्थिति में दोनों की युति वैवाहिक जीवन में तनाव देते हुए भी देखी गई है.
*चंद्रमा और शनि* की युति जिसे विष योग भी कहते हैं ये दरअसल कल्पना के आईने में यथार्थ की तस्वीर है, शनि को नवग्रहों में न्यायाधीश कहा जाता है और न्यायाधीश दिल को अच्छा लगने वाला झूठ नहीं बोलता और गलत होने पर दंड भी देता है. कल्पना के परों से हवा में उड़ने वाला व्यक्ति जब यथार्थ की कंक्रीट की दीवार से टकराता है तो चोट आना तो स्वाभाविक ही है, ऐसा कहा जाता है इस योग के कारण जातक के दिल में नकारात्मक विचार भी आते हैं दरअसल कोई भी योजना बनाने से पहले इस योग के कारण जातक इस बारे में जरूर सोचता है कि अगर फेल हो गया तो क्या होगा? और ऐसी स्थिति में कई बार अपने कदम पीछे हटा लेता है आप इसे नकारात्मक विचार या यथार्थ कुछ भी कह सकते हैं.
*राहु और केतु चंद्रमा*/सूर्य के लिए ग्रहण का काम करते हैं समुंद्र मंथन कथा के बारे में आपने इस विषय में सुना ही होगा, राहु के साथ होने पर जातक मानसिक रूप से काफी ज्यादा परेशान रहता है छोटी छोटी बातों में टेंशन लेना, बहुत सोच विचार करना, भ्रम की स्थिति आदि उसके सामने हमेशा रहती है लेकिन अगर शुभ ग्रहों की युति या दृष्टि हो बाकी के ग्रह ठीक हों तो जातक लेखक, चित्रकार, वैज्ञानिक आदि भी बन सकता है और कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकता है.
*केतू* के साथ होने पर जातक बहुत ज्यादा दयालु, बहुत जल्दी लोगों को भरोसा करने वाला, जल्दी गुस्सा होने वाला भी होता है. इसके साथ साथ जब चंद्रमा के साथ कोई ग्रह नहीं होता तथा उसके एक घर आगे और एक घर पीछे भी कोई ग्रह नहीं होता तो केमद्रुम योग का निर्माण होता है, ऐसे जातक को खुद के नाम से इन्वेस्टमेंट करने से बचना चाहिए.
Astro nirmal
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