कामिका एकादशी व्रत रखने से जाने या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल जाती

कामिका एकादशी व्रत रखने से जाने या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल जाती

प्रेषित समय :21:39:53 PM / Wed, Jul 12th, 2023

सावन की पहली कामिका एकादशी 13 जुलाई 2023 को  है! कामिका एकादशी का व्रत करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु का आशिर्वाद मिलता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और सभी कष्टों का अंत होता है. सावन का महीना भोलेनाथ को प्रिय है. इसलिए इस महीने आने वाली कामिका एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है.इस दिन प्रात:काल स्नान से निवृत्त होकर पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए. अब भगवान विष्णु की पूजा प्रारंभ करें. उन्हें पीले फल-फूल, तिल, दूध और पंचामृत अर्पित करें. इस दिन भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करते हुए भजन-कीर्तन करना चाहिए. कामिका एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है. अगले दिन यानि द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराकर और दक्षिणा देकर विदा करें. इसके बाद व्रत का पारण करें .
 
मान्यताओं के अनुसार, कामिका एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के सभी संकट टल जाते हैं और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। इस अवसर पर दान करने का विशेष महत्व है।

13 जुलाई दिन बृहस्पतिवार 2023 को कामिका एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है और व्यक्ति को सारे पापों से मुक्ति मिलता है।ये चतुर्मास की पहली एकादशी है।कामिका एकादशी के व्रत से व्यक्ति कुयोनि में जन्म नहीं लेता। इस साल कामिका एकादशी पर कई शुभ योग का संयोग बन रहा है।

शास्त्रों में बताया गया है कि श्रावण मास में कामिका एकादशी व्रत रखने से जाने या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही यह मान्यता है कि इस व्रत को सफलतापूर्वक रखने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है और व्यक्ति बैकुण्ठ धाम जाता है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु को तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और पितृ दोष से मुक्त हो जाता है

सावन कृष्ण कामिका एकादशी तिथि शुरू - 12 जुलाई 2023, शाम 05.59
सावन कृष्ण कामिका एकादशी तिथि समाप्त - 13 जुलाई 2023, शाम 06.24
गुरुवार का दिन और एकादशी तिथि  साथ ही इस दिन शूल योग बुधादित्य योग का निर्माण भी होगा।
भगवान विष्णु का पंचामृत और केसर मिश्रित जल से अभिषेक करें। षोडोपचार विधि से पूजा करें। विष्णु के 108 नामों का जाप करें।  कामिका एकादशी पर भगवान विष्‍णु को तुलसी के पत्‍ते अर्पित करने से व्‍यक्ति पितृ दोष से मुक्‍त होता है।
मंत्र
1 ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:
2 ऊं नमो नारायणाय नम:

कामिका एकादशी व्रत का महत्व

 कुंतीपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन, आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी तथा चातुर्मास्य माहात्म्य मैंने भली प्रकार से सुना। अब कृपा करके श्रावण कृष्ण एकादशी का क्या नाम है, सो बताइए।

श्रीकृष्ण भगवान कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद से कही थी, वही मैं तुमसे कहता हूँ। नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा था कि हे पितामह! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की मेरी इच्छा है, उसका क्या नाम है? क्या विधि है और उसका माहात्म्य क्या है, सो कृपा करके कहिए।
नारदजी के ये वचन सुनकर ब्रह्माजी ने कहा- हे नारद! लोकों के हित के लिए तुमने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन होता है, जिनके नाम श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन हैं। उनकी पूजा करने से जो फल मिलता है सो सुनो।
जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर स्नान से मिलता है, वह विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है। जो फल सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, समुद्र, वन सहित पृथ्वी दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी प्राप्त नहीं होता वह भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है।
जो मनुष्य श्रावण में भगवान का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्यमेव करना चाहिए। पापरूपी कीचड़ में फँसे हुए और संसाररूपी समुद्र में डूबे मनुष्यों के लिए इस एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु का पूजन अत्यंत आवश्यक है। इससे बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है।
हे नारद! स्वयं भगवान ने यही कहा है कि कामिका व्रत से जीव कुयोनि को प्राप्त नहीं होता। जो मनुष्य इस एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करते हैं, वे इस संसार के समस्त पापों से दूर रहते हैं। विष्णु भगवान रत्न, मोती, मणि तथा आभूषण आदि से इतने प्रसन्न नहीं होते जितने तुलसी दल से।
तुलसी दल पूजन का फल चार भार चाँदी और एक भार स्वर्ण के दान के बराबर होता है। हे नारद! मैं स्वयं भगवान की अतिप्रिय तुलसी को सदैव नमस्कार करता हूँ। तुलसी के पौधे को सींचने से मनुष्य की सब यातनाएँ नष्ट हो जाती हैं। दर्शन मात्र से सब पाप नष्ट हो जाते हैं और स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है।
कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान तथा जागरण के फल का माहात्म्य चित्रगुप्त भी नहीं कह सकते। जो इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में दीपक जलाते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं तथा जो घी या तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।
ब्रह्माजी कहते हैं कि हे नारद! ब्रह्महत्या तथा भ्रूण हत्या आदि पापों को नष्ट करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत मनुष्य को यत्न के साथ करना चाहिए। कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है।
एकादशी की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। 
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी 
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। 
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। 
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। 
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। 
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। 
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। 
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। 
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। 
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। 
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। 
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। 
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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