ब्रिक्स. साउथ अफ्रीका में प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद अलग-अलग दावे किए जा रहे है. आज चीनी विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि ये मुलाकात भारत की रिक्वेस्ट पर हुई है. वहीं विदेश मंत्रालय ने चीन के इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि चीन ने किया था आग्रह.
विदेश मंत्रालय का कहना है कि चीन की ओर से कई महीनों से बाइलेट्रल मुलाकात का आग्रह लम्बित था. इसके बाद ही दोनों नेताओं में बातचीत हुई. पीएम मोदी व शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत अनौपचारिक थी. चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा था कि मीटिंग के दौरान चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा. दोनों नेताओं के बीच योजना बगैर लेकिन गहराई से बातचीत हुई. इस दौरान राष्ट्रपति जिनपिंग ने शांति व विकास के लिए अच्छे संबंधों को जरूरी बताया. साथ ही उन्होंने सीमा विवाद पर दोनों देशों की तरफ से सही अप्रोच होने की बात कही. जिससे शांति बनाई जा सके. वहीं पीएम मोदी ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव के मुद्दे को उठाया. शी जिनपिंग से चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि सीमा पर शांति जरूरी है ताकि दोनों देशों के संबंध सामान्य रहें. दोनों नेताओं के बीच तनाव कम करने के लिए अधिकारियों के बीच चर्चा पर सहमति बनी. समिट के आखिरी दिन दोनों नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले बातचीत करते नजर आए थे. कॉन्फ्रेंस के बाद मोदी और जिनपिंग ने हाथ भी मिलाया था. बाद में फॉरेन सेक्रेटरी विनय क्वात्रा ने बताया. मोदी और जिनपिंग इस बात पर सहमत हुए हैं कि लद्दाख में सैन्य तैनाती कम की जाएगी और तनाव कम किया जाएगा.
कांग्रेस ने उठाया सवाल-
भारत-चीन के बीच लद्दाख में सैनिकों की तैनाती कम करने पर बनी सहमति पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया ट्विटर पर पूछा है कि यह फैसला चीन की शर्तों पर लिया गया है या भारत की शर्तों पर. भारत की उस स्थिति का क्या हुआ जिसमें हम अप्रैल 2020 के पहले वाले स्टेटस को बरकरार रखना चाहते थे. इसे बदलने पर हम कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं. अगले महीने होने वाली जी-20 समिट का नाम लिए बगैर मनीष तिवारी ने लिखा कि हम ऐसे इंसान की मेजबानी करेंगे जिसने हमारे इलाके को हथिया लिया है.
इस घटना के बाद बढ़ा तनाव-
भारत व चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी पर करीब तीन वर्ष पहले 2020 में हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, वहीं जबकि 38 चीनी सैनिक भी मारे गए थे. हालांकिए चीन इसे लगातार छिपाता रहा. गलवान घाटी पर दोनों देशों के बीच 40 साल बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई थी. गलवान पर हुई झड़प के पीछे की वजह यह थी कि गलवान नदी के एक सिरे पर भारतीय सैनिकों अस्थाई पुल बनाने का फैसला लिया था. चीन ने इस क्षेत्र में अवैध रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण करना शुरू कर दिया था. साथ ही इस क्षेत्र में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा था.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-#मोदी_जवाब_दो .... क्या प्रधानमंत्री बीमार हैं?
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