नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आर्मी हॉस्पिटल में संक्रमित रक्त चढ़ाने के चलते एचआईवी संक्रमण का शिकार हुए वायुसेना के पूर्व अधिकारी को डेढ़ करोड़ का मुआवजा देने का आदेश दिया है. ये अधिकारी साल 2002 में पाकिस्तान के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन पराक्रम के दौरान ड्यूटी पर बीमार पडऩे के चलते अस्पताल में भर्ती हुए थे. जम्मू-कश्मीर के एक आर्मी हॉस्पिटल में उनकी जि़न्दगी बचाने के मकसद से उन्हें 1 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया था.
12 साल के बाद उन्हें संक्रमण का पता चला, लेकिन इतने लंबे अंतराल के बाद ये साबित करना मुश्किल था कि आर्मी हॉस्पिटल में खून चढ़ाने के वक्त ही वे संक्रमण के शिकार हुए. साल 2017 में उन्होंने मुआवजे के लिए एनसीडीआरसी का रुख किया, लेकिन एनसीडीआरसी ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया.
इसके बाद पीडि़त ने 2022 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट ने वायुसेना के इस पूर्व अधिकारी के संक्रमण का शिकार होने के लिए इंडियन एयर फोर्स और इंडियन आर्मी दोनों को सामूहिक रूप लापरवाही के लिए जिम्मेदार माना है. कोर्ट ने इंडियन एयर फोर्स को 6 हफ्ते में इंडियन एयर फोर्स के इस रिटायर्ड अधिकारी को 1 करोड़ 54 लाख 73 हज़ार रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने एयरफोर्स से यह भी कहा है कि वो चाहे तो इसकी आधी रकम आर्मी से वसूल सकती है. कोर्ट ने विकलांग पेंशन से जुड़ी बकाया राशि को भी 6 हफ्ते में देने का निर्देश दिया है
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली में शोरूम की छत काटकर उड़ा ले गए 25 करोड़ की डायमंड और गोल्ड ज्वेलरी
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