वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा राजनीतिकों के लिए बहुत लाभकारी

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा राजनीतिकों के लिए बहुत लाभकारी

प्रेषित समय :21:06:02 PM / Thu, Oct 12th, 2023
Reporter :
Whatsapp Channel

पूर्व दिशा का महत्व  
पूर्व दिशा - यह सूर्य देव की दिशा है जो हमारे जीवन में काफी महत्व है इस दिशा से ही हमें जीवन दाहिनी ऊर्जा मिलती है
यदि किसी कारणवश यह दिशा बंद है या किसी के पास यह दिशा खुली नहीं मिल रही है तो हम इस दिशा में उगते हुए सूर्य की फोटो लगा सकते हैं जिसका हमें आभासों की सूर्य निकल रहा है इसके साथ-साथ हम इस दिशा में सूर्य के साथ घोड़े वाली फोटो जिसमें सूर्य देव विराजमान हो वह भी लगा सकते हैं

पूर्व दिशा से हम अपने सामाजिक संबंध सरकारी संबंधों को देखते हैं इस दिशा के अंदर हम घर में ड्राइंग रूम बनाते हैं तो अति उत्तम है ड्राइंग रूम सूर्य देव को ही रिप्रेजेंट करता है यह दिशा जितनी खुली साफ सुथरी होगी तो वह हमारे फायदेमंद होगा पूरे घर का ढलान हम इस दिशा की तरफ भी कर सकते हैं इस दिशा में किसी भी तरह का कटा फटा टेढ़ा-मिड फ्लोर ने लेवल पर दरार नहीं होनी चाहिए हैं *इस दिशा में दो देवता आते हैं महेंद्र और सूर्य इन दोनों का अलग-अलग महत्व है एक देवता मैनेजमेंट को रिप्रेजेंट करते हैं दूसरा राजा की तरह रिप्रेजेंट करते हैं*
 यदि इन दोनों देवताओं के दूषित हो गए तो हमारे को इन दोनों चीजों में समस्या आएगी सूर्य के पद पर टॉयलेट बना होगा सेफ्टी टैंक बना होगा तो हमारे घर में किसी न किसी को हड्डियों *(calcium)*  से संबंधित स्टोर होगा आंखों की रोशनी से संबंधित समस्या हो सकती है

पूर्व दिशा कभी भी बाकी दिशाओं से ऊंची नहीं होनी चाहिए यदि किसी वजह से यह दिशा काम है तो हम यहां पर पुराण वायु को ऊर्जा देने वाले पौधे रख सकते हैं जैसे तुलसी का पौधा स्नेक प्लांट इत्यादि इस दिशा में हमें कभी भी काले कलर को उसे नहीं करना चाहिए इस दिशा में महेंद्र पद पर हमें घर की एंट्री को लेना चाहिए इस दिशा में जब भी समस्या होगी तो हमारे सरकारी कार्य में दिक्कत आएगी ही आएगी जिस भी सदस्य को पूर्व दिशा से संबंधित एंट्री मिलती है हो सकता हैं उसके घर में सरकारी कार्य में या सरकारी ठेके में या सरकार से संबंधित कार्य करने वाला सदस्य होगा यह दिशा उन सभी राजनीतिकों के लिए बहुत बढ़िया है जो राजनीतिक स्तर पर कार्य करते हैं हम पूर्व दिशा में घर का मंदिर भी बना सकते हैं मंदिर में कभी भी इस स्थान पर अपने पितरों की फोटो नहीं रखनी चाहिए

पूर्व दिशा ईशान्य का 22.5° से लेकर अग्नेय का 135° तक विस्तारित है. जिस मे शिखी, पर्जन्य, जयंत, महेंद्र, सूर्य, सत्य, भृषा, आकाश और अग्नि पद का पद विन्यास के अनुसार पैशाच विथि मे समावेश होता है, जिसमे जयंत और महेंद्र श्रेष्ठ मुख्य द्वार भी समाविष्ट है. 
भीतर मे आर्यमा, आपवत्स, और सवित्र्य देवता भी स्थित है. 

शिखी मे ज्योति स्वरूप अग्नि स्थित है, यही अग्नि आगे जाते हुए अनियंत्रित से नियंत्रित अग्नि के स्वरूप मे सूर्य और अग्नि पद मे पाया जाता है. 
सृष्टि के निर्माण की मुख्य प्रक्रिया इस पूर्व दिशा से शुरू होती है. जैसे शिखी पद याने शिव के कैलाश का बर्फ को सूर्य नारायण के हल्के हल्के रश्मि ओ के द्वारा बर्फ से बहते जल मे परिवर्तित होना, या बर्फ को जान  प्रदान करना और उस स्थिरत्व से गति प्रदान करना. यही बहता या चलित जल के उपर सूर्य के तेज रश्मि ओ द्वारा बादल और वराल के रूप मे परी वर्तित कर, इंद्र के आदेश द्वारा भूमि पे अनाराधार मेघ याने वर्षा के रूप मे बरसना. 

यही मेघ जल से भूमि मे प्राण की पूर्तता होते ही सूर्य के रश्मि ओ से बिजनकुरण द्वारा समग्र पृथ्वी पे पेड़, पौधे, आदि प्रकृति की शुरुआत होती है, समग्र भूमि हरे रंग की चादर और रंग बेरंगी फूलो से महकती स्नेह सभर मातृत्व के गुणों की जनेता बन कर उभर आती है. फल फूल पँछी ओ का कलरव, वन्य प्राणी ओ की मस्ती, बहते जल का मीठा मधुरा सुर, जैसे संगीत के सात सुर के रूप मे कर्ण को आहलादक बना देता है.

18 भार वनस्पति,  
999 सरिता ये, 
7 समंदर, 
9 लाख तारा, 
10  दिशाओं, 
14 लोक मे आनंद ही आनंद की बाढ़ आ जाती है. 

यही प्रक्रिया सूक्ष्म रूप से मनुष्य और समग्र 84 लाख यौनि  मे भी शुरू हो जाती है, क्योकि  *यथा ब्रह्मांडे तथा पिण्डे*  के अनुसार ये गति आगे बढ़ती है. 
ये सब प्रक्रिया होने का कारण बनता है आकाश तत्व, 
आकाश याने अवकाश, खाली जगह, space elements

अब इस फूली फाली प्रकृति को जीवंत रखने हेतु  शिखी का जल और आग्नेय का अग्नि का अहम रोल है, पिया हुआ जल और खाये हुवे फल को पचाने हेतु हर शरीर मे जठराग्नि के रूप मे अग्नि बिराज मान है. 

इसी तरह ये प्रकृति और जीवों का जीवन शुरू हो के लंबे युगों तक चलता रहता है. 
आगे और बाकी दिशा ओ के विषय मे भी देखेंगे उनका प्रदान क्या है. 
पूर्व दिशा के बारे मे मेरे पास जो गुरुओ और ग्रंथो से प्राप्त ज्ञान की कुछ बुँदे, मेरी मति अनुसार  मे प्रदर्शित करने का प्रयास किया है.

Astro nirmal
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

वास्तु शास्त्र के अनुसार एक आदर्श फैक्ट्री के लिए दिशा निर्देश

वास्तु के अनुसार हनुमान जी का चित्र घर में कहां लगाएं

वास्तु और चाबी

वास्तु के अनुसार हर दिन पीली सरसों को घर में छिड़कना चाहिए

वास्तु शास्त्र के विभिन्न नियमों द्वारा कैसे घर, ऑफिस और परिवार को खुशहाल बनाया जा सकता