वास्तुविद के लिए सबसे जरूरी स्वयं की ऊर्जा का स्तर इतना बढ़ाना है,की नकारात्मक ऊर्जाएं आपको प्रभावित ही न करे.
क्योंकि जहां आप वास्तु निरीक्षण के लिए जा रहे हैं वहां हर दिन आपको नई नई और अलग अलग तरह की ऊर्जाओं का सामना करना पड़ेगा .
वास्तु विद वास्तु विज़िट करते समय या हर समय अपने साथ एक *पारा का मनका* रखे तो उस से वास्तु विजिट के दौरान पूरा प्रोटेक्शन होगा और विजिट के बाद अपने आप को ऊर्जाहीन महसूस नहीं करेगा.
किसीभी प्रकार की नेगेटिव एनर्जी अपनी इफेक्ट नहीं दे पाएंगी.
पिली सरसों भीमसैनी कपुर की पुड़िया पाकेट में रखें.
यदि आप स्वयं को इनसे सुरक्षित रखने की स्थिति में नहीं हैं तो ये आपके लिए खतरनाक हो सकता है.
इसलिए अपने ऊर्जा स्तर को बनाए रखने के लिए आपको अपने इष्ट एवम गुरु मंत्र का जप,ध्यान,आदि करते रहना चाहिए.
दुर्गा जी का बीज मंत्र
*ॐ ऐं ह्रीम क्लीं चामुण्डायै विच्चे*
अथवा हनुमान जी का मंत्र
*ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट*
ऐसे ही दो शक्तिशाली मंत्र हैं,जिनके नियमित जाप आप को ऊर्जामय रखेगा.
*दुर्गा सप्तशती में दिए कवच, अर्गला, कीलक और सिद्ध कुंजिका स्तोत्र भी बहुत शीघ्र लाभकारी हैं.*
साथ ही *वास्तुविद को अपने आचार,विचार और व्यवहार में सात्विकता,आध्यात्मिक उन्नति के लिए साधना एवम जो भी कार्य कर रहे हैं उस में कल्याण की भावना और नकारात्मक ऊर्जाओं की मुक्ति के लिए भी प्रार्थना करना चाहिए,ऐसा करते रहने से आप को नकारात्मक ऊर्जाएं कभी प्रभावित नहीं करेंगी.*
मैं अमावस्या के दिन अपने कार्य को विश्राम का दिन रखकर नर्मदा स्नान भी करता हूं,आप अपने पास के किसी भी पवित्र जल स्थान में स्नान कर सकते हैं और वो भी उपलब्ध न हो तो अपने नहाने के जल में थोड़ा नर्मदा/गंगा जल मिला कर स्नान कर सकते हैं.
इनके भी उपलब्ध न होने की दशा में स्नान करते समय मानसिक रूप से इनका आवाह्न करके भी आप लाभ ले सकते हैं.
इन सब तरीकों से आप को आश्चर्यजनक रूप से लाभ मिलेगा.
Astro nirmal
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-वास्तु शास्त्र के अनुसार एक आदर्श फैक्ट्री के लिए दिशा निर्देश
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